शी जिनपिंग एक बार फिर से चीन के राष्ट्रपति की गद्बदी पर बैठने जा रहे हैं। हालांकि यह पहले से तय था कि “शी जिनपिंग को राष्ट्रपति के रूप में एक और कार्यकाल मिल सकता है क्योंकि उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार खड़ा ही नहीं था । शी जिनपिंग देश में माओत्से तुंग के बाद देश के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। नेशनल पीपल्स कांग्रेस की 14वीं बैठक में शी जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने पर मुहर लग चुकी है।
चीन की रबर-स्टैंप कही जाने वाली संसद और एनपीसी के करीबन 3,000 सदस्यों ने ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में शी जिनपिंग के पक्ष में वोट दिया। बीते 5 मार्च से पार्टी की सालाना बैठक जारी थी। और इस बैठक में ही इसका ऐलान किया गया। ये फैसला भी ऐसे समय पर आया जब शी जिनपिंग की कोविड पॉलिसी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे।
शी जिनपिंग अब पहले से भी कई ज्यादा ताकतवर नेता बन चुके है । जिनपिंग को सैन्य आयोग का भी अध्यक्ष बनाया गया है। इसके लिए भी वोटिंग कराई गई थी जिसमें उन्हें भारी बहुमत मिला जों कि पहले से अनुमानित था । वहीं दूसरी तरफ शी जिनपिंग के बाद दूसरे सबसे ताकतवर नेता का भी चुनाव हो गया है। संसद ने झाओ लेजी को नए संसद अध्यक्ष और हान झेंग को नए उपाध्यक्ष के रूप में भी चुना। दोनों व्यक्ति पोलित ब्यूरो स्थायी समिति में शी की पार्टी के नेताओं की टीम से ही हैं।
चीन में एनपीसी की बैठक में फैसला लिया गया कि इस साल चीन अपने रक्षा बजट पर करीब 18 लाख रुपये खर्च करेगा। अगर इस बजट की भारत से तुलना करें तो यह करीब तीन गुना है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन कोरोना काल के बाद से इसकी रफ्तार काफी कम हो गई है। भारत की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से काम रही है।