KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक दिवसीय यूक्रेन यात्रा आज से शुरू हो रही है, जिसमें वे कीव में राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे। यह यात्रा पीएम मोदी के यूरोप दौरे के दूसरे चरण का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने पोलैंड से ट्रेन के जरिए कीव पहुंचने की तैयारी की है। यह यात्रा यूक्रेन और पश्चिमी देशों के साथ भारत के रिश्तों को सुदृढ़ करने के प्रयासों की एक कड़ी के रूप में देखी जा रही है।
पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा कई महत्वपूर्ण वजहों से चर्चा में है। जब पीएम मोदी ने पिछले ढाई साल में रूस का दौरा किया था, तो उनकी यात्रा पर पश्चिमी देशों और यूक्रेन की आलोचना हुई थी। यूक्रेन की राजधानी कीव में रूस की ओर से जारी संघर्ष को लेकर भारत की स्थिति की आलोचना की गई थी। भारत ने अब तक रूस की आलोचना नहीं की है, और यह यात्रा इस दिशा में एक नया कदम हो सकता है।
पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा का मुख्य उद्देश्य शांति और स्थिरता की वकालत करना है। भारत ने इस संघर्ष में शांति की आवश्यकता की बात की है और अब यूक्रेन में जाकर राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ मिलकर शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में विचार-विमर्श करना चाहता है। पीएम मोदी ने यात्रा से पहले कहा था कि भारत एक मित्र और साझेदार के रूप में क्षेत्र में शांति और स्थिरता की उम्मीद करता है।
भारत की विदेश नीति और यूक्रेन यात्रा
भारतीय विदेश नीति में यूरोप हमेशा से एक कम प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है, लेकिन पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद इसमें बदलाव आया है। मोदी का यूक्रेन और पोलैंड का दौरा यूरोप के साथ रिश्तों को मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा है। पीएम मोदी ने हाल ही में भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति की चर्चा की और अब सभी देशों के साथ करीबी संबंध बनाए रखने की बात की है।
भारत का लक्ष्य “विश्वबंधु” बनने का है, और इसके लिए वह मध्य और पूर्वी यूरोप के देशों के साथ रिश्ते मजबूत कर रहा है, साथ ही रूस के साथ भी संबंधों को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा भारत की शांतिप्रिय छवि को और मजबूत करने का प्रयास है और यह दिखाता है कि भारत वैश्विक शांति और संघर्षों के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
यूक्रेन यात्रा के दौरान संभावित चर्चा मुद्दे
पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। इनमें रक्षा और आर्थिक सहयोग के साथ-साथ युद्धोपरांत यूक्रेन के पुनर्निर्माण में भारत की भूमिका शामिल है। पूर्व राजदूत राजीव भाटिया के अनुसार, पीएम मोदी यूक्रेन में भारतीय छात्रों की सुरक्षा और उनके पुनर्वास के लिए भी आभार व्यक्त कर सकते हैं। युद्ध के दौरान यूक्रेन में 19,000 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे, जिनकी सुरक्षा और निकासी में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञों का कहना है कि इस यात्रा के माध्यम से भारत अपने आप को एक शांतिदूत के रूप में पेश करने का प्रयास करेगा और साथ ही अमेरिका से करीबी संबंधों के बावजूद संदेह को दूर करेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत कीव में शांति योजना का खुलासा नहीं करेगा, लेकिन शांति समझौते की बातचीत का समर्थन करने के लिए तैयार है।
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