KNEWS DESK- Habemus Papam!” ये शब्द सुनते ही दुनियाभर के लोग जान जाते हैं कि कैथोलिक चर्च का नया पोप चुन लिया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन शब्दों तक पहुंचने की प्रक्रिया कितनी गहरी, गोपनीय और परंपराओं से भरी होती है? हाल ही में, पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की उम्र में निधन हुआ। वेटिकन के अनुसार, उन्होंने स्थानीय समयानुसार सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही चर्च एक बेहद पवित्र और अनुशासित प्रक्रिया में प्रवेश कर गया है, जिसे सदियों से निभाया जा रहा है। यह प्रक्रिया केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिसमें चर्च शोक मनाता है, नेतृत्व की बागडोर संभालता है और एक नए पोप का स्वागत करता है।
आइए जानते हैं कि पोप के निधन के बाद चर्च में क्या-क्या होता है और नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया कैसे संपन्न होती है:
1. पोप के निधन के बाद की पहली कार्रवाई
पोप के निधन के बाद सबसे पहले उनके निजी डॉक्टर उनकी मृत्यु की आधिकारिक पुष्टि करते हैं। इसके बाद वेटिकन के कैमरलेन्गो, यानी कार्डिनल चैम्बरलेन, को सूचना दी जाती है। कार्डिनल चैम्बरलेन पोप की गैरमौजूदगी में वेटिकन के प्रशासन की जिम्मेदारी संभालते हैं।
पोप के निधन की घोषणा रोम के कार्डिनल केविन फैरेल ने की है। इसके बाद वेटिकन प्रेस ऑफिस पोप के निधन की सार्वजनिक घोषणा करता है और यह खबर दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्षों और चर्च के प्रमुखों को भी दी जाती है।
2. शोक काल: “Sede Vacante” (गद्दी खाली है)
Sede Vacante का लैटिन में अर्थ होता है “गद्दी खाली है”। यह दौर पोप के निधन से लेकर नए पोप के चुने जाने तक चलता है। इस दौरान चर्च की जिम्मेदारी कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स के पास होती है। हालांकि, इस दौरान कोई भी बड़ा निर्णय या बदलाव नहीं किया जाता। रोजमर्रा के कार्यों की निगरानी और प्रशासन की जिम्मेदारी कैमरलेन्गो पर होती है।
3. नए पोप के चुनाव की तैयारी
नए पोप को चुनने की प्रक्रिया को कॉनक्लेव (Conclave) कहा जाता है। इस प्रक्रिया में दुनियाभर के कार्डिनल्स वेटिकन बुलाए जाते हैं और फिर चुनाव की तारीख तय होती है।
कौन-कौन वोट कर सकता है?
केवल वे कार्डिनल्स जो पोप की मृत्यु के समय 80 वर्ष से कम उम्र के होते हैं, वे ही वोटिंग में हिस्सा ले सकते हैं। आमतौर पर, ऐसे कार्डिनल्स की संख्या लगभग 120 होती है। अगर किसी समय प्रशासनिक जरूरत या संकट आ जाए, तो कार्डिनल्स मिलकर निर्णय ले सकते हैं।
4. पोप का अंतिम संस्कार
कुछ दिनों तक पोप का पार्थिव शरीर सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा जाता है, ताकि श्रद्धालु अंतिम दर्शन कर सकें। इसके बाद विशेष Requiem Mass के साथ उनका अंतिम संस्कार होता है। अक्सर पोप को सेंट पीटर्स के नीचे बनी क्रिप्ट में दफनाया जाता है, जहां कई पूर्व पोप भी दफनाए गए हैं।
5. नए पोप का चुनाव: गोपनीय और जटिल प्रक्रिया
पोप के अंतिम संस्कार के करीब तीन हफ्ते बाद, कॉनक्लेव के जरिए नया पोप चुना जाता है। यह प्रक्रिया करीब 700 साल पुरानी है और बेहद गोपनीय होती है।
इस दौरान दुनियाभर के कार्डिनल्स सिस्टीन चैपल में इकट्ठा होते हैं, जहां एक विशेष मास के बाद वोटिंग शुरू होती है।
6. वोटिंग की प्रक्रिया
कार्डिनल्स जिसे वोट देते हैं, उसका नाम एक बैलेट पर लिखकर एक प्याले में रखा जाता है। फिर, प्रत्येक बैलेट को जलाया जाता है। चर्च की चिमनी से अगर काला धुआं निकलता है, तो इसका मतलब है कि वोटिंग अभी जारी है। लेकिन जब नया पोप चुन लिया जाता है, तो सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफेद धुआं निकलता है, और इसका मतलब होता है कि नया पोप चुन लिया गया है।
यदि किसी कार्डिनल को दो-तिहाई बहुमत प्राप्त होता है, तो उसे पोप घोषित किया जाता है।
7. “Habemus Papam!” की घोषणा
नए पोप का चयन होने के बाद, कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स का एक प्रतिनिधि सेंट पीटर्स बेसिलिका की बालकनी से लैटिन भाषा में घोषणा करता है:
“Habemus Papam!” यानी “हमें नया पोप मिल गया है!” इसके बाद, चुने गए पोप एक नया पोप नाम चुनते हैं, और अपनी शपथ ग्रहण करते हैं।
8. नए पोप का पदार्पण और उद्घाटन समारोह
नए पोप का उद्घाटन समारोह यानी Inauguration Mass कुछ ही दिनों में होता है, जिसमें वह अपने दायित्वों की शपथ लेते हैं। इस समारोह के बाद नया पोप Urbi et Orbi नामक आशीर्वाद देता है, जिसका अर्थ होता है “शहर और दुनिया के लिए”।
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