कानपुर- अभी भारत में पूरी तरह से 5G नेटवर्क नहीं आ पाया है लेकिन चीन और अमेरिका केबाच 6G नेटवर्क को लेकर तनातनी हो गयी है|
चीन और अमेरिका के बीच 6G में बढ़त हासिल करने की होड़ के बीच अब क्वॉड समूह को टेलीकॉम सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। क्वॉड समूह ने दावा किया है कि “टेलीकॉम सुरक्षा नेशनल सुरक्षा का मुद्दा है और इसके लिए कार्य किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि क्वॉड समूह मुख्य रूप से साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं और सुरक्षा-दर-डिजाइन पर काम करेगा। इसमें अगली टेलीफोनी टेक्नोलॉजी 6G सर्विस भी शामिल है। बता दें कि क्वॉड समूह में अमेरिका, जापान,ऑस्ट्रेलिया और भारत भी शामिल हैं।
30 और 31 जनवरी को नई दिल्ली में क्वॉड सीनियर साइबर ग्रुप की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में, समूह ने कहा कि वह सॉफ्टवेयर सर्विस और प्रोडक्ट के लिए सर्वोत्तम सुरक्षा प्रथाओं की पहचान करने और न्यूनतम महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर साइबर सुरक्षा आवश्यकताओं पर काम कर रहा था।
लंदन में स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज ने अगस्त में एक रिपोर्ट जारी कर के बताया था कि “चीन सैनिक उद्देश्यों के लिए 6जी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की तैयारियों में जुटा हुआ है। इसके लिए वह केंद्रीकृत कमांड मॉडल के जरिए निर्णय प्रक्रिया का अनुपालन कर रहा है। दूसरी तरफ अमेरिका भी निचले स्तरों पर कमांड और ऑपरेशन प्रक्रिया को सक्षम बनाने की रणनीति पर चल रहा है।”
मगर यहाँ तो अमेरिका और चीन के बीच 6जी में बढ़त हासिल करने की होड़ शुरू हो गई है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि 6जी के इस्तेमाल से युद्ध उपकरणों की क्षमता में नाटकीय बदलाव आ जाएगा। हाल ही में आईआईएसएस ने कहा था कि “चीन के हाइपरसोनिकअस्त्र कार्यक्रम में 6जी टेक्नोलॉजी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। इस टेक्नोलॉजी से हाइपरसोनिक रफ्तार में अभी पेश आने वाली संचार बाधा की समस्या की समाधान हो जाएगा। यही कारण है कि क्वॉड समूह को टेलीकॉम सिक्योरिटी की चिंता सता रही है।”