67,000 से ज्यादा पाकिस्तानी हज यात्रा पर नहीं जा सकेंगे, पाकिस्तान को सऊदी अरब से लगा तगड़ा झटका

KNEWS DESK-  पाकिस्तान के लिए इस बार हज यात्रा एक बड़ा झटका लेकर आई है। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पहले से ही भारत के कड़े जवाब के डर से परेशान है, और अब उसे सऊदी अरब ने एक और तगड़ा झटका दिया है। सऊदी अरब ने इस साल हज यात्रा के लिए पाकिस्तान से आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में कटौती कर दी है, जिससे पाकिस्तान सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

सऊदी अरब सरकार ने मई से शुरू होने वाली हज यात्रा के लिए पाकिस्तान से आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में कटौती कर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल 67,210 पाकिस्तानी तीर्थयात्री निजी योजना के तहत हज यात्रा पर नहीं जा पाएंगे। सऊदी अरब ने इस कदम को उठाया है जब पाकिस्तान हज के लिए अपनी पहली उड़ान रवाना करने वाला था। अब इस साल केवल 23,620 पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों को हज यात्रा का मौका मिलेगा, जो कि पहले के मुकाबले बेहद कम संख्या है।

पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, इस साल 90,830 तीर्थयात्रियों को हज यात्रा करनी थी, लेकिन अब केवल 26 फीसदी तीर्थयात्री ही इस यात्रा पर जा सकेंगे। इसका मतलब है कि हर चार में से तीन पाकिस्तानी तीर्थयात्री इस बार हज यात्रा पर नहीं जा पाएंगे। यह पाकिस्तान सरकार के लिए एक बड़ी बेइज्जती है, क्योंकि हज यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से पाकिस्तानियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

इस संकट के बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कोई विशेष हल नहीं निकला। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री इमरान खान के निर्देशों पर एक जांच समिति गठित की गई थी, लेकिन इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी इस बात को स्पष्ट किया कि वह हज 2025 के तीर्थयात्रियों के लिए कोई खास रियायत नहीं दिला सका। अब सवाल यह उठता है कि 67,210 पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों का क्या होगा और उनकी सरकार इसके लिए जिम्मेदार किसे ठहराएगी।

पाकिस्तान की पहली हज उड़ान 29 अप्रैल को इस्लामाबाद से 393 हज यात्रियों को लेकर सऊदी अरब के लिए रवाना होगी। धार्मिक मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने इस्लामाबाद हवाई अड्डे पर ‘रोड टू मक्का’ कार्यक्रम के तहत यात्रियों का स्वागत किया। यह हज यात्रा पाकिस्तान के लिए एक अहम धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर है, लेकिन इस साल की कटौती ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

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