मार्क कार्नी बने कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री, 85.9% वोटों से जीते थे कार्नी

KNEWS DESK-  कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के रूप में मार्क कार्नी ने शुक्रवार को शपथ ग्रहण किया। भारतीय समयानुसार रात 8:30 बजे ओटावा स्थित रिड्यू हॉल के बॉलरूम में आयोजित एक भव्य समारोह में उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस मौके पर उनके मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य भी शपथ लेने के लिए उपस्थित थे। कार्नी की शपथ ग्रहण के साथ ही कनाडा में एक नया राजनीतिक युग शुरू हुआ है।

मार्क कार्नी, जिन्होंने 9 फरवरी को लिबरल पार्टी के नेता के रूप में चुनाव जीते थे, 85.9% वोटों से विजयी हुए थे। कार्नी, जो कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के स्थान पर सत्ता संभालेंगे, की यह जीत एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना मानी जा रही है। शुक्रवार को ही, ट्रूडो ने गवर्नर जनरल के पास जाकर आधिकारिक रूप से अपना इस्तीफा सौंपा था, जिसके बाद शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ।

कार्नी की शपथ ग्रहण से पहले एक अहम सवाल यह उठ रहा है कि कनाडा और भारत के बीच खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर बढ़ते विवादों पर उनका क्या रुख होगा। इस मुद्दे पर अब तक कार्नी ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। भारतीय समुदाय में इस विषय पर असमंजस बना हुआ है, और सबकी नजरें अब कार्नी के आगामी फैसलों पर टिकी हुई हैं।

मार्क कार्नी ने अपनी राजनीतिक यात्रा को लिबरल पार्टी के नेता के रूप में शुरू किया था और 9 फरवरी को आयोजित चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों को करारी शिकस्त दी। उनके नेतृत्व में पार्टी को अभूतपूर्व समर्थन मिला, और उनकी जीत ने यह साबित कर दिया कि वे कनाडा के राजनीतिक माहौल में एक मजबूत नेता के रूप में उभरकर सामने आए हैं।

कार्नी का राजनीतिक करियर काफी विविधतापूर्ण रहा है। वह एक अनुभवी राजनेता और पूर्व केंद्रीय बैंक गवर्नर हैं। उनकी कड़ी मेहनत और सूझबूझ ने उन्हें कनाडा की राजनीति में एक स्थिर और प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया है। अब उनके सामने कनाडा को और अधिक समृद्ध, सशक्त और वैश्विक स्तर पर प्रभावी बनाने की चुनौती होगी।

मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। आर्थिक नीतियों, सामाजिक सुधारों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्थिरता बनाए रखना उनके लिए महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव और खालिस्तानी आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर उनके रुख का भी ध्यान रखा जाएगा।

भारत और कनाडा के रिश्तों में सुधार और पारस्परिक समझ की आवश्यकता को देखते हुए कार्नी के सामने यह चुनौती होगी कि वे इन मुद्दों पर समाधान ढूंढने में सक्षम हों, ताकि दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग का माहौल बन सके।

हालांकि, मार्क कार्नी के नेतृत्व में कनाडा को एक नई दिशा मिल सकती है, लेकिन इसके लिए उन्हें अपने फैसलों में सावधानी और संतुलन बनाए रखना होगा। आने वाले दिनों में उनके निर्णय देश और दुनिया में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।

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