खालिदा जिया के सिपहसालार ने भारत पर साधा निशाना, कहा- शेख हसीना को तुरंत हमें सौंप दें

KNEWS DESK- बांग्लादेश में हाल ही में सत्ता परिवर्तन के बाद हुए खूनी बवाल ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस राजनीतिक अशांति के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। अब, बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार उनकी वापसी की मांग कर रही है, जबकि शेख हसीना के खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज हैं।

बांग्लादेश की नई सरकार का दबाव

बांग्लादेश में 5 अगस्त को हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों में हिंसा और बलात्कार की घटनाओं के बाद शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इन घटनाओं में लगभग 100 लोगों की मौत हो गई थी। बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है ताकि उन पर अपने देश में चल रहे मुकदमों का सामना किया जा सके। शेख हसीना पर हत्या और जबरन उगाही जैसे गंभीर आरोप लगे हैं, और उनके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या मंगलवार तक करीब 25 हो चुकी थी।

भारत को लेकर बीएनपी की आपत्ति

बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसने शेख हसीना को शरण देकर लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। आलमगीर ने भारत पर आरोप लगाया कि शेख हसीना बांग्लादेश में क्रांति को विफल करने के लिए साजिशें रच रही हैं और भारत ने बांग्लादेश के लोगों के दुश्मन को पनाह देकर खुद को गलत दिशा में ले लिया है।

भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि

भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, जो दोनों देशों को उन व्यक्तियों का आदान-प्रदान करने की अनुमति देती है जिनके खिलाफ अपराध की कार्रवाई चल रही हो। इस संधि में 2016 में संशोधन भी किया गया, जिसमें वित्तीय अपराध भी शामिल किए गए थे। हालांकि, संधि के अनुच्छेद 8 के तहत ऐसे मामलों को ठुकराने का प्रावधान है जो ‘राजनीतिक प्रकृति’ के होते हैं। बीएनपी का दावा है कि शेख हसीना के खिलाफ हत्या और जबरन उगाही के मामले इस संधि के दायरे में आते हैं।

भारत का संभावित रुख

अब यह सवाल उठता है कि क्या भारत शेख हसीना को बांग्लादेश प्रत्यर्पित करेगा। सूत्रों का कहना है कि भारत बांग्लादेश की प्रत्यर्पण की मांग को ठुकरा भी सकता है, खासकर जब मामला राजनीतिक प्रकृति का हो। भारत संधि के अनुच्छेद 8 का हवाला देकर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को खारिज कर सकता है यदि उसे लगता है कि यह अनुरोध ‘ईमानदारी से और न्याय के हित में नहीं’ किया गया है।

अवामी लीग की प्रतिक्रिया

शेख हसीना की पार्टी, अवामी लीग, ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के खिलाफ तीव्र आलोचना की है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मामले झूठे और राजनीति से प्रेरित हैं। अवामी लीग का कहना है कि ये मामले शेख हसीना को बदनाम करने के लिए किए गए हैं और इनका कोई वास्तविक आधार नहीं है।बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति और शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग एक जटिल मामला बन गई है। भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत यह तय करना होगा कि क्या शेख हसीना के मामले में संधि की शर्तें लागू होती हैं या नहीं। इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय भारत की सरकार और न्यायिक प्रणाली द्वारा ही लिया जाएगा।

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