Knews Desk:कई देशों में अपराध इतना बढ़ चुका हैं.कि कैदियों को जेल में रखने के लिए जेलें कम पड़ रही हैं.तो वहीं नीदरलैंड की अधिकतर जेलें बंद हो चुकीं हैं.और जो हैं वो कैदियों के बिना ही सूनी पड़ी हैं.इनमें शरणार्थियों को रखा जाने लगा.तो कई जेलें रेस्टोरेंनट में बदल चुकी हैं.अब वहां के हालात ऐसे आ गए हैं कि जेलों में किराए के कैदी मगांए जा रहे है.
जहां अपने भारत में जेलों की बात करें तो अक्सर यह खबर सामने आती है.कि जेलों में जेल की क्षमता से भी ज्यादा कैदी रखें जाते है.वहीं दुनिया में एक ऐसा देश जहां अपराध का रेट इतना कम हो गया हैं कि वहां कि जेलों को अब किराए के कैदियों की जरुरत पड़ गई है.
एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में नीदरलैंड की प्रति 1लाख की आबादी पर लगभग 53 अपराध हुए.साल 2022 में ये आंकड़ा 58 था.वहीं पिछले दशक में यहां अपराध का ग्राफ कम होता जा रहा है.आपको बता दें जो अपराध हुए वो कोई बडे़ अपराध नहीं बल्कि छोटे मोटे अपराध की श्रेणी में आते हैं.
दूसरी तरफ जेलों की व्यवस्था पर काम करने वाली एक डेटा रिपोर्ट के अनुसार वेनेजुएला में दुनिया में सबसे ज्यादा क्राइम होते हैं.यहां एक लाख की आबादी में केवल 92 हत्याएं हुई.चोरी,डकैती और सारे क्राइम और भी ज्यादा हैं.
इसके पीछे सिर्फ एक वजह नहीं है कि यहा क्राइम कम हैं बल्कि लंदन की य़ूनिवर्सिटी के क्रिमिनल पॉलिसी के अनुसार डच अदालत में कैदियों को जेल की कम सजा मिलती हैं.और सजा तभी मिलती है.जब वह कोई जगघ्यं अपराध किया हो.
नीदरलैंड में कस्टोडियल सेंटेंस के 55% मामलों से भी कम समय के लिए होती है,वहीं कई मामलों में केवल प्री-ट्रायल कस्टडी के दौरान ही बहुत अपराधी सजा पूरी कर लेते हैं और जेल जाने की बजाए घर लौट पाते हैं.
बाकी मामलों में कैदियों को जुर्माना लगाया जाता है,या फिर कम्युनिटी सर्विस से जोड़ दिया जाता है,सफाई,पौधे व साफ सफाई आदि.
साल2016 में जेलों में कम होते कैदियों को देखते हुए डच सरकार ने तय किया कि वो खाली पड़ी जेलों को बंद करते हुए उसको ठेकों पर उठा देगी.जिसमें कुछ रेस्टोंरेंट खुल गए तो कुछ कैफे बन गए है.कुछ जेलों को शरणार्थी कैंपो में बदल दिया गया.जहां दूसरे देशों से आए लोगों को रखा जाता है.वहीं जेल में सेवाएं दे रहे कर्मचारी बेकार हो रहे है.
वहीं नीदरलैंड के उत्तरी हिस्से के एक गांव वीनहोशन और आसपास की पूरी अर्थव्यवस्था जेलों से चलती है.