ईरान ने बदला लेने की दी धमकी, क्या ये तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत है?

KNEWS DESK-  तेहरान से तेल अवीव तक जंग के बादल मंडरा रहे हैं। 13 जून की रात को इज़राइल ने अपने सबसे बड़े और संगठित सैन्य अभियान “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” के तहत ईरान के 100 से अधिक सामरिक ठिकानों पर जबरदस्त हमला किया। छह चरणों में चले इस ऑपरेशन में इज़राइल के 200 से अधिक फाइटर जेट्स ने ईरान की परमाणु और सैन्य संरचनाओं पर 330 से ज्यादा बम बरसाए। हमला इतना तीव्र और सटीक था कि ईरान की कई न्यूक्लियर फैसिलिटी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। वहीं, ईरानी सेना के कई वरिष्ठ कमांडर मारे जा चुके हैं।

ईरान में करमानशाह, इस्फहान, अराक और नतांज जैसी जगहों पर आग और तबाही का मंजर है। सबसे ज्यादा नुकसान उन न्यूक्लियर साइट्स पर हुआ है जिनसे ईरान का बहुप्रचारित एटमी कार्यक्रम जुड़ा था। लेकिन इस हमले के बाद अब जवाबी कार्रवाई की चेतावनी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने खुद दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा, “इज़राइल को इस हमले की भारी कीमत चुकानी होगी।” ईरान ने अपने अंडरग्राउंड “मिसाइल सिटी” की तस्वीरें जारी की हैं, जिसमें दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइल और सशस्त्र ड्रोन देखे जा सकते हैं। जवाबी हमले में अब तक 100 ड्रोन इज़राइल की ओर छोड़े जा चुके हैं, जिनमें से कई को एयर डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिया, लेकिन कुछ टारगेट तक भी पहुंचे हैं।

इस हालात को देखते हुए इज़राइल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। देश भर में एयर रेड अलर्ट बजाए जा रहे हैं और नागरिकों को शेल्टर में रहने की सलाह दी गई है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू को एक सुरक्षित और गुप्त ठिकाने पर पहुंचा दिया गया है।

यह संघर्ष सिर्फ ईरान और इज़राइल के बीच नहीं है — पूरे अरब क्षेत्र को दो खेमों में बांट चुका है।

  • अमेरिकी गठबंधन (इज़राइल के साथ): सऊदी अरब, जॉर्डन, UAE, बहरीन

  • ईरानी ब्लॉक (अमेरिका विरोधी): सीरिया, इराक, लेबनान (हिज्बुल्लाह), यमन (हौती)

जॉर्डन द्वारा अपने एयरस्पेस को इज़राइली विमानों के लिए खोलना यह दर्शाता है कि अमेरिका ने पूरे क्षेत्र में रणनीतिक मोर्चाबंदी कर ली है।

ईरान डिमोना में इज़राइल के एटमी संयंत्र पर मिसाइल हमला कर सकता है। तेल अवीव, हाइफा और नेगेव के एयरबेस उसके निशाने पर हो सकते हैं। ऐसे में यह टकराव एक सीमित संघर्ष से बढ़कर एटमी युद्ध में भी तब्दील हो सकता है।

अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या यह संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध का संकेत है? संभावनाएं प्रबल हैं क्योंकि अमेरिका ने अपने राजनयिकों को मिडल ईस्ट छोड़ने का निर्देश दिया है। रशिया और चीन की चुप्पी और रणनीतिक गतिविधियाँ संकेत दे रही हैं कि वे इस आग में घी डाल सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने आपात बैठक बुलाई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

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