भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ, फिलिस्तीन को भेजा फूड आइटम्स-मेडिसिन से भरा प्लेन

KNEWS DESK- इजरायल और हमास के बीच जारी जंग का आज 16वां दिन है। अब तक फिलिस्तीन में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं इसी बीच भारत ने फिलिस्तीन की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। भारतीय वायुसेना का C-17 ग्लोबमास्टर विमान राहत सामग्री लेकर मिस्र के अल-अरिश इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गया है।

20 ट्रक मानवीय सहायता गाजा में पहुंचाई

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को फोन कर बॉर्डर खोलने की अपील की थी, ताकि वहां के लोगों को मदद पहुंचाई जा सके। इसके बाद करीब 20 ट्रक मानवीय सहायता गाजा में पहुंचाई जा चुकी है। अब भारत ने फिलिस्तीन के लोगों के लिए मदद भेजी है। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि भारत ने फिलिस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता भेजी है।

भारत ने इस विमान के जरिए फिलिस्तीन के लोगों के लिए करीब 6.5 टन चिकित्सीय सहायदा और 32 टन आपदा राहत सामग्री भेजी है। इसमें आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं, सर्जिकल सामान, तंबू, स्लीपिंग बैग, तिरपाल, स्वच्छताएं सेवाएं, पानी को साफ करने वाली दवाओं समेत कई वस्तुएं भेजी हैं।

फाइल फोटो

इस क्रॉसिंग के जरिए पहुंचाई जा रही मदद

गाजा और मिस्र के बीच मौजूद राफा बॉर्डर क्रॉसिंग के जरिए यह राहत सामग्री फिलिस्तीनियों के बीच पहुंचाई जाएगी। जब से गाजा पट्टी पर इजरायल ने हमला किया, वहां का आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। वहां लोगों को खाना-पानी, दवाई और जरूरी चीजों के लिए जूझना पड़ रहा है। बीते शनिवार को गाजा में राहत सामग्री का पहला ट्रक पहुंचा था, जिसके बाद अबतक वहां करीब 20 ट्रक पहुंच चुके हैं। हमास की ओर से कहा गया, सहायता सामग्री लेकर 20 ट्रक आ चुके हैं, जो दवा, चिकित्सा आपूर्ति और सीमित मात्रा में खाना लेकर आए हैं।

फिलिस्तीन के लोगों के लिए भारत ने भेजी मदद (फोटो- MEA ट्विटर अकाउंट)

अमेरिकी राष्ट्रपति ने नेतन्याहू से की मुलाकात

इससे पहले इजरायल दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने गाजा के लोगों को मदद पहुंचाने की बात कही थी। बाइडेन की अपील के बाद नेतन्याहू कुछ शर्तों के साथ राहत सामग्री भेजने के लिए तैयार हो गए थे। इनमें राहत सामग्री को हमास द्वारा अधिकार नहीं करने, सामान लेकर जा रहे ट्रकों में हथियार न होने की शर्त सबसे महत्वपूर्ण थी। जिसके बाद अमेरिका ने मिस्त्र के राष्ट्रपति से बात कर राफा क्रॉसिंग बॉर्डर को खोलने की अपील की थी।

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