क्या खामेनेई को बंकर से बाहर निकालना चाहता है अमेरिका? ट्रंप की सीजफायर रणनीति पर उठे सवाल

KNEWS DESK- पश्चिम एशिया में जारी ईरान-इजराइल संघर्ष पर अचानक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित सीजफायर ने वैश्विक राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। इस संघर्ष विराम की घोषणा को जहां एक ओर शांति की दिशा में कदम बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर एक गहरे रणनीतिक मकसद के तौर पर भी देखा जा रहा है।

ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई युद्ध की शुरुआत से ही एक सीक्रेट अंडरग्राउंड बंकर में छिपे हुए हैं। वहीं से वो पूरे युद्ध को मॉनिटर कर रहे हैं और अपनी सैन्य कमान को दिशा दे रहे हैं। इस दौरान ना तो वे सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं और ना ही कोई वीडियो संदेश जारी किया है।

ऐसे में अब यह सवाल ज़ोर पकड़ रहा है कि क्या अमेरिका और इजराइल ने जानबूझकर सीजफायर की घोषणा इसलिए की है ताकि खामेनेई को बंकर से बाहर आने का मौका मिले — और जैसे ही वह सामने आएं, उन पर सीधा हमला किया जा सके?

इस पूरे संघर्ष में खामेनेई अमेरिका और इजराइल के निशाने पर रहे हैं। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तकरीबन खुलकर कहा था कि “जब तक खामेनेई ज़िंदा हैं, तब तक इजराइल को चैन नहीं मिलेगा।” इजराइली रक्षा मंत्री योआव गैलांत ने तो खामेनेई की तुलना सद्दाम हुसैन से कर डाली और चेताया कि उनका भी अंजाम वही होगा।

उधर, ट्रंप ने भी खामेनेई को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि, “हमें पता है वो कहां छिपे हैं, वे हमारे लिए आसान टारगेट हैं, लेकिन अभी हम उन्हें नहीं मारेंगे।” इस बयान से यह स्पष्ट संकेत मिला कि खामेनेई को निशाना बनाने का प्लान तैयार है — सही मौके का इंतजार है।

पिछले हफ्तों में इजराइल ने उन सभी संभावित बंकर लोकेशन्स पर ताबड़तोड़ हवाई हमले किए जहां खामेनेई के छिपे होने की आशंका थी। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उनका ठिकाना पकड़ में नहीं आया। अब यह रणनीति बनाई गई है कि युद्ध को कुछ समय के लिए शांत कर दिया जाए, ताकि खामेनेई यह मान लें कि अब खतरा टल गया है और वह बंकर से बाहर निकलें।

इस बीच एक और बड़ी अटकल यह रही कि अमेरिका ईरान में सत्ता परिवर्तन की योजना बना रहा है। लेकिन ट्रंप ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा, “हम ईरान में तख्तापलट नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं, क्योंकि सत्ता परिवर्तन अराजकता लाता है और हम वह नहीं देखना चाहते।” ट्रंप ने ईरान की जनता को “अच्छे कारोबारी” और “तेल संपन्न” बताया, और कहा कि वे शांति से रह सकते हैं — बशर्ते उनके नेता सही फैसले लें।

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