KNEWS DESK- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें अब एक नए और गंभीर मोड़ पर पहुंच गई हैं। अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने उनके खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोप में औपचारिक रूप से आरोप पत्र दायर किया है। रविवार को पेश किए गए इस आरोप पत्र में जुलाई 2024 में हुए जन-विद्रोह को दबाने के लिए की गई कार्रवाई को बर्बर और मानवता के खिलाफ बताया गया है।
ICT के अभियोजन पक्ष के अनुसार, जुलाई और अगस्त के महीनों में बांग्लादेश में फैले जनविरोध के दौरान हुई हिंसा, गोलीबारी और कथित सामूहिक हत्याओं के पीछे शेख हसीना की भूमिका प्रमुख रही है। उन्हें इन घटनाओं के लिए “मुख्य उकसाने वाला” बताया गया है। 12 मई को एक जांच रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि हसीना ने कथित तौर पर पुलिस और सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। इस आरोप पत्र में हसीना के साथ-साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक (IGP) चौधरी मामून को भी सह-आरोपी बनाया गया है। अगर ये आरोप साबित हो जाते हैं, तो शेख हसीना को फांसी तक की सजा सुनाई जा सकती है। बांग्लादेश में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण पहले भी कई राजनीतिक नेताओं और युद्ध अपराधियों को दोषी ठहरा चुका है, जिनमें कई को मौत की सजा भी दी जा चुकी है।
इस मुकदमे को पूरी पारदर्शिता के साथ चलाने के लिए बांग्लादेश टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया जा रहा है। इसका उद्देश्य जनता को न्याय प्रक्रिया से जोड़े रखना और राजनीतिक पक्षपात के आरोपों से बचना है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं। जनविरोध और सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद उन्होंने देश छोड़ दिया था। वर्तमान में वह भारत में निवास कर रही हैं, जबकि बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार ने उनकी वापसी की मांग की है। हालांकि, भारत सरकार ने इस पर अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
शेख हसीना के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के संबंध काफी मजबूत रहे थे। लेकिन तख्तापलट और सत्ता परिवर्तन के बाद से इन रिश्तों में ठंडापन आ गया है। नई यूनुस सरकार का झुकाव चीन और पाकिस्तान की ओर अधिक देखा जा रहा है। इसके बावजूद भारत बांग्लादेश के साथ रिश्ते बनाए रखने की कूटनीतिक कोशिशों में जुटा हुआ है।
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