रुस – यूक्रेन युद्ध का असर अब वैश्विक स्तर पर दिखने लगा है। मध्य एशिया के मिस्त्र में खाद्य कीमतों में भारी इज़ाफ़ा देखा गया है। मिस्र दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा खरीदार है और 2021 में इसका लगभग 80 फीसदी गेहूं का आयात रूस और यूक्रेन से हुआ था.
मध्य एशिया देशों पर संकट
रुस – यूक्रेन के बीच युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा। इस युद्ध का खामियाज़ा मध्य एशिया के देशों को आर्थिक संकट के रुप में भुगतना पड़ रहा है। मध्य एशियाई देश मिस्त्र को तगड़ा आर्थिक झटका लगा है। मिस्र में खाद्य कीमतों में फरवरी में महीने-दर-महीने 4.6 फीसदी की वृद्धि हुई और मुद्रास्फीति जनवरी में 6.3 फीसदी से बढ़कर सालाना आधार पर 7.2 फीसदी हो गई।
ब्रेड की कीमतें आसमान पार
मिस्र दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा खरीदार है और 2021 में इसका लगभग 80 फीसदी गेहूं का आयात रूस और यूक्रेन से हुआ था. जिसके चलते मिस्र में बिना सब्सिडी वाली ब्रेड की कीमत बेकरियों में 25 फीसदी तक बढ़ गई. ब्रेड की कीमतों में तेज़ी से उछाल आने के बाद
आम जनता ब्रेड तक के लिए मोहताज हो रही है। बता दें कि यूक्रेन ने घरेलू बाजार में आपूर्ति बनाए रखने के लिए कुछ अनाज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है.
अंतराष्ट्रीय मुद्रा भण्डार करेगा मदद
मिस्त्र मध्य एशिया के कर्ज़दार देशों की सूची में शामिल है। साथ में इसका खाद्य सामाग्री का बहुत बड़ा हिस्सा दूसरे देशों से आयात किया जाता है। रुस – यूक्रेन पर यह सूरजमुखी तेल और गेहूं के लिए निर्भर है। युद्ध के चलते इन देशों से आयात – र्नियात ना होने के कारण मिस्त्र दाने दाने के लिए मोहताज हो गया है। ऐसे में मिस्त्र की सरकार ने अंतराष्ट्रीय मुद्रा भण्डार से मदद की गुहार लगाई है। अंतराष्ट्रीय मुद्रा भण्डार लोन के रुप में मिस्त्र की मदद करने को तैयार हो गया है।