ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना और कम होना दोनों ही स्थितियां शरीर के लिए हानिकारक मानी जाती हैं। सामान्यतौर पर शुगर लेवन बढ़ने को लेकर ज्यादा चर्चा होती रही है, इसे शरीर के कई अंगों के लिए नुकसानदायक माना जाता है। मानक के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड शुगर स्तर 60 से 140 mg/dl के बीच होना चाहिए। इसका बढ़ना कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ब्लड शुगर का स्तर बढ़ना जितना गंभीर स्थिति है, इसका कम होना भी उतना ही खतरनाक है। डॉक्टर्स कहते हैं, जिन्हें डायबिटीज की समस्या होती है उन्हें लगातार अपने शुगर लेवल की जांच करते रहना चाहिए जिससे स्थिति का सही अंदाजा होता रहे।
लो-ब्लड शुगर का लेवल यानि कि हाइपोग्लाइसेमिया शरीर में कई प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकती है। लो ब्लड शुगर की स्थिति तब होती है जब रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य स्तर से कम हो जाती है। डायबिटीज की दवाइयों या फिर इंसुलिन के कारण यह स्थिति हो सकती है। हाइपोग्लाइसेमिया का प्रभाव अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है। आइए इसकी गंभीरता के बारे में जानते हैं।
क्यों होती है हाइपोग्लाइसेमिया?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डायबिटीज की दवाइयां, अल्कोहल, गंभीर बीमारी या फिर शरीर में इंसुलिन की मात्रा अधिक हो जाने की स्थिति लो ब्लड शुगर का कारण बन सकती है। यही कारण है कि डायबिटीज के रोगियों को निरंतर ब्लड शुगर के स्तर की जांच करते रहना चाहिए। हाइपोग्लाइसेमिया को कंट्रोल करने के लिए तुरंत ग्लूकोज के लेवल को बढ़ाने की आवश्यकता होती है। इसपर समय रहते ध्यान न देना हृदय और मस्तिष्क की गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
हाइपोग्लाइसेमिया के कारण होने वाली समस्याएं
रक्त शर्करा का स्तर बहुत कम हो जाने की स्थिति में शरीर में कई प्रकार की समस्याएं होने का जोखिम होता है। इसके कारण कंपकपी, पसीना आना, सिरदर्द, भूख या मतली, धड़कन की अनियमितता, थकान और चिंता जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। हाइपोग्लाइसेमिया पर समय पर ध्यान न देना गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है। यदि इसे अनुपचारित ही छोड़ दिया जाए कोमा जैसी समस्या भी हो सकती है।
हाइपोग्लाइसेमिया की गंभीर स्थिति
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जैसे-जैसे हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति बिगड़ती जाती है, इसके संकेत और लक्षण गंभीर हो सकते हैं। हाइपोग्लाइसेमिया की गंभीर स्थिति के कारण भ्रम, असामान्य व्यवहार, शारीरिक समन्वय की कमी, बोलने की समस्या, धुंधला दिखाई देना, झटके आना, तंत्रिका की समस्या और चेतना की हानि हो सकती है।
हाइपोग्लाइसेमिया को कैसे कंट्रोल किया जाए?
हाइपोग्लाइसेमिया की स्थिति में त्वरित रूप से ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। यदि शुगर लेवल कम है तो इसे बढ़ाने के लिए सीमित मात्रा में कैंडीज या बिस्किट खाया जा सकता है। हालांकि इस स्थिति में विशेषज्ञ की सलाह बहुत आवश्यक होती है। हाइपोग्लाइसेमिया की स्थिति लगातार बने रहने में दवाइयों और इंसुलिन को डोज में परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है।