विज्ञान ने अपने क्षेत्र में काफी तरक्की कर ली है. अब लाइट थेरेपी भी आ गई हैं । बता दें कि ग्रीन लाइट को लेकर जो रिसर्च सामने आई है, उसके बारे में सुनकर आप भी चौंक जाएंगे। ड्यूक यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में सामने आया कि ग्रीन लाइट में कुछ समय बिताने पर हर तरह का दर्द कम हो जाता है या फिर ये दर्द खत्म भी हो सकता है। गौर हो कि सिर्फ अमेरिका में ही5 करोड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह के दर्द की तकलीफ झेल रहे हैं।वे कई तरह की थेरेपी, मसाज और दवा भी ले रहे है, लेकिन ये दर्द खत्म नहीं हो रहा।
ऐसे काम करती है ये थेरेपी
बता दें कि ग्रीन लाइट कुछ तंत्रिकाओं के रास्ते हमारी आंखों से होते हुए ब्रेन तक जाती हैं। इन्हीं में से कुछ हमारे दर्द को कंट्रोल भी करती हैं। आंख में मौजूद मेलानोप्सिन एसिड हरी रोशनी से ट्रिगर हो जाता है, जो हमारे ब्रेन में होने वाले दर्द पर काबू करने वाले हिस्से को सिग्नल भेजने का काम करता है। जब वह हरी रोशनी से ट्रिगर होता है, तो दिमाग में दर्द कम करने वाला एक नया रास्ता खुलता है।
नहीं है किसी तरह का नुकसान
इस थेरेपी की खास बात ये है कि इससे किसी तरह का नुकसान नहीं है। शोधकर्ताओं नेमांसपेशियों में दर्द के मरीजों पर इसका एक एक्सपेरिमेंट किया। 2 हफ्तों तक हर दिन 4 घंटे तक अलग-अलग रंगों के चश्मे पहनने को दिए गए। कुछ लोगों ने नीला, कुछ ने बिना किसी रंग का और कुछ ने हरा चश्मा पहना। इसके नतीजे सामने आने के बाद पता चला कि हरा चश्मा पहनने वाले लोगों में दर्द की चिंता कम हो गई। साथ ही, लोगों ने पेन किलर्स लेना भी कम कर दिया।
माईग्रेन में मददगार
दिलचस्प बात ये है कि ग्रीन लाइट का जब माइग्रेन पीड़ितों पर अध्ययन किया गया, तो इससे माइग्रेन के कारण होने वाले दर्द में 60 फीसदी तक कमी हुई।