KNEWS DESK- पीजीआई चंडीगढ़ (Post Graduate Institute of Medical Education and Research) एक ऐसा मोबाइल ऐप तैयार कर रहा है जो लिवर और ओरल कैंसर से जंग में बड़ी कामयाबी के तौर पर साबित होगा।
इस ऐप का उद्देश्य एक इंसान में कैंसर होने की संभावना का पता लगाना होगा। इसकी मदद से आशा वर्कर खुद भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में लिवर और ओरल कैंसर की स्क्रीनिंग कर सकेंगी। इस ऐप को विकसित करने के लिए पीजीआई ने लिवर कैंसर के 2000 और ओरल कैंसर के 2500 मरीजों का डेटा जुटाया है। 15 से 20 हजार डिजिटल इमेज का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। इन्हीं इमेज और डेटा का एआई आधारित ऐप विश्लेषण करेगा और कैंसर होने की संभावना का पता लगाएगा।
मुंह के कैंसर पर क्या कहते हैं आंकड़े?
भारत में मुंह का कैंसर तेजी से बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, हर 59 में से एक पुरुष और हर 139 में से एक महिला इस कैंसर से पीड़ित है। तंबाकू, गुटखा और सिगरेट का अत्यधिक सेवन इस बीमारी का मुख्य कारण है, हालांकि कुछ मामलों में यह जेनेटिक भी हो सकता है। कैंसर के मरीजों में से 42 प्रतिशत से अधिक की मृत्यु मुंह के कैंसर के कारण होती है। मरीजों का अधिकतर इलाज एडवांस स्टेज में शुरू होता है, जिससे उनकी जीवित बचने की संभावना केवल पांच प्रतिशत रह जाती है।
कैसे काम आएगा ऐप?
पीजीआई चंडीगढ़ के ओरल हेल्थ साइंस सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पित गुप्ता कहते हैं, “हमारी प्रैक्टिस में यह साफ नजर आता है कि भारत में मुंह का कैंसर बहुत ज्यादा है, विशेषकर पुरुषों में। मरीज आमतौर पर तब आते हैं जब कैंसर एडवांस स्टेज में होता है।
डॉ. गुप्ता आगे बताते हैं, “हमारा उद्देश्य है कि कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचाना जाए ताकि रोकथाम और इलाज के माध्यम से मरीजों को बचाया जा सके। इसके लिए एक एआई आधारित ऐप का होना बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे प्रारंभिक चरण में ही कैंसर का पता लगाया जा सके और समय पर इलाज किया जा सके।
ऐप किस तरह काम करेगा?
इस ऐप को ट्रेन करने के लिए लिवर कैंसर की दो हजार जबकि मुंह के कैंसर की ढाई हजार तस्वीरें ली गई हैं| यह तस्वीरें ऐप में ‘फीड’ की जाएंगी| फिर जब कोई डॉक्टर या आशा वर्कर किसी मरीज के मुंह या लीवर की स्क्रीनिंग करेगा तो ऐप इन्हीं तस्वीरों के आधार पर कैंसर सेल्स का पता लगाएगा|
डॉक्टर गुप्ता कहते हैं, “हम ऐसा ऐप बनाना चाहते हैं जिसमें एक आशा वर्कर भी मरीज के मुंह की तस्वीर ले, और थोड़ी सी डीटेल डालने पर ही पता चल जाए कि मरीज को कैंसर होने की संभावना है या नहीं|”
डॉक्टर का कहना है कि वह जल्द ही अन्य अस्पतालों से डेटा लेकर उसका इस्तेमाल भी करेंगे| भारत में कैंसर के इलाज की लागत तीन से पांच लाख रुपए के बीच होती है| लेकिन अगर समय से पहले कैंसर के होने की संभावना का पता लगा लिया जाएगा तो इसका इलाज भी आसान होगा।
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