KNEWS DESK, भाई दूज हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जिसे भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आता है और इसे भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
यमराज और यमुनाजी की कथा
भाई दूज का त्योहार यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन यमुनाजी ने अपने भाई यमराज को आमंत्रित किया था और उनके स्वागत के लिए विशेष पूजा की थी। इसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, पूजा की थाली सजाती हैं और आरती उतारती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसकी सुरक्षा का वचन देते हैं।
चौमुखा दीपक जलाने का महत्व
भाई दूज के दिन यमराज के नाम चौमुखा दीपक जलाने की विशेष परंपरा है। इस दीपक को घर की दहलीज के बाहर रखा जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भाई के घर में किसी प्रकार की विघ्न-बाधा न आए और वह सुखमय जीवन व्यतीत करें। दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह बुराईयों से रक्षा करता है।
पूजा विधि
भाई दूज के दिन पूजा करते समय बहनों को चाहिए कि वे शुद्ध आसन पर अपने भाई को बिठाकर सबसे पहले उनके मस्तक पर सिंदूर, अक्षत और पुष्प का तिलक लगाएं। इसके बाद भाई के मुंह में मिठाई, मिश्री और माखन लगाकर उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करें। इसके पश्चात यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाकर उसे घर की दहलीज पर रखें।
शुभ मुहूर्त
इस साल भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 2 नवंबर को रात 08 बजकर 22 मिनट से शुरू होगा और 3 नवंबर को रात 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्योदय व्यापिनी तिथि के कारण 3 नवंबर को भाई दूज मनाना उत्तम माना जाएगा।