KNEWS DESK – हिंदू धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन धूमधाम से किया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, पूरे देश में भक्तगण भगवान शालिग्राम की पूजा करते हुए तुलसी के पौधे से उनका विवाह कराते हैं। इस पूजा का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है।
तुलसी विवाह 2024: तिथि और समय
बता दें कि तुलसी विवाह 2024 का आयोजन इस साल दो तिथियों में हो सकता है:
- 12 नवंबर, 2024 (मंगलवार) – यह तिथि देवउठनी एकादशी के दिन है, और कई लोग इसी दिन तुलसी विवाह का आयोजन करते हैं।
- 13 नवंबर, 2024 (बुधवार) – यह तिथि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है, जो उदया तिथि के अनुसार प्रमुख मानी जाती है।
पंचांग के अनुसार, 12 नवंबर को शाम 4:04 बजे द्वादशी तिथि का आरंभ होगा और 13 नवंबर को दोपहर 1:01 बजे समाप्त होगा। इस प्रकार, 13 नवंबर को तुलसी विवाह मुख्य रूप से मनाया जाएगा।
तुलसी विवाह की सामग्री (Tulsi Vivah Ki Samagri)
तुलसी विवाह के लिए विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है, जिसे सभी भक्त श्रद्धापूर्वक तैयार करते हैं।
- तुलसी का पौधा
- भगवान विष्णु या शालिग्राम जी की मूर्ति या फोटो
- लाल रंग का वस्त्र
- कलश
- पूजा की चौकी
- सुहाग की सामग्री (जैसे बिछुए, सिंदूर, बिंदी, चुनरी, मेहंदी)
- फल और सब्ज़ियाँ जैसे मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, सीताफल, अमरूद, केले के पत्ते
- हल्दी की गांठ, नारियल, कपूर, धूप, चंदन
तुलसी विवाह पूजा विधि (Tulsi Vivah Puja Vidhi)
तुलसी विवाह की पूजा विधि को बड़े धैर्य और श्रद्धा के साथ करना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से शाम का समय विवाह के लिए शुभ माना जाता है।
- तुलसी का मंडप सजाना: पूजा की शुरुआत से पहले, तुलसी के पौधे के गमले के चारों ओर गन्ने से मंडप सजाया जाता है। यह मंडप तुलसी और शालिग्राम के बीच विवाह की पवित्रता को दर्शाता है।
- सुहाग सामग्री चढ़ाना: गमले में तुलसी के पौधे को लाल चुनरी और अन्य सुहाग की सामग्री (सिंदूर, बिंदी, मेहंदी) अर्पित की जाती है।
- शालिग्राम भगवान का स्थान: शालिग्राम जी को तुलसी के पौधे के पास स्थापित किया जाता है। शालिग्राम और तुलसी का विवाह करने के लिए इस समय विवाह के सभी पारंपरिक नियमों का पालन किया जाता है।
- सात फेरे और मंत्रोच्चारण: तुलसी और शालिग्राम को सात फेरे दिए जाते हैं, और विवाह के पवित्र मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस दौरान विशेष ध्यान रखा जाता है कि शालिग्राम पर चावल न चढ़ाया जाए, क्योंकि यह पवित्र शिला है। इसके बदले तिल चढ़ाए जाते हैं।
- विवाह की समाप्ति: विवाह की सारी रस्में पूरी होने के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है, जिसमें विशेष रूप से फल और अन्य पकवान होते हैं। इस दौरान घर के सभी सदस्य तुलसी विवाह के पुण्य लाभ को प्राप्त करने के लिए प्रसाद का सेवन करते हैं।
तुलसी विवाह का महत्व (Tulsi Vivah Ka Mahatva)
तुलसी विवाह का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। तुलसी को हिंदू धर्म में पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। यह देवी लक्ष्मी की प्रिय है और भगवान विष्णु के साथ गहरी धार्मिक संबंध रखती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: तुलसी विवाह के दौरान तुलसी की पूजा से व्यक्ति का मन शांत होता है और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है। यह पूजा भक्ति के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करती है।
- सुख-समृद्धि और पापों का नाश: तुलसी विवाह से घर में सुख-समृद्धि आती है और पापों का नाश होता है। यह विशेष रूप से दांपत्य जीवन के लिए लाभकारी माना जाता है। पति-पत्नी के बीच प्यार और समझ बढ़ती है, और किसी भी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- घर में शांति: तुलसी के पौधे की पूजा से घर में शांति और सुख-संपत्ति का वास होता है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनकी सुख-समृद्धि और पारिवारिक जीवन में सुखद बदलाव लाने का प्रतीक है।