होलिका दहन पूर्णिमा तिथि को होता है होलिका दहन की रात को महासिद्धि की रात माना गया है। इस वक्त किए जाने वाले सभी शुभ कार्य फलित होते हैं और मनचाहा परिणाम आपको मिलता हे। और घर में खुशहाली आती हैं
इस साल होलिका दहन 7 मार्च को किया जाएगा और 8 मार्च को रंगों के साथ होली खेली जाएगी। हालांकि, कुछ जगहों पर होली का त्योहार पांच दिनों तक चलता है। होलिका दहन से लेकर रंग पंचमी तक मनाया जाता है।
होलिका दहन के लिए होलाष्टक से ही तैयारियां शुरू हो जाती है. होली से पहले लोग लकड़ी, उपले एक जगह इकट्ठा करके रखते हैं और फिर होलिका दहन पर उसमें अग्नि प्रज्वलित कर ये त्योहार मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे काम है जो होलिका दहन पर नहीं करना चाहिए. ये गलतियां आपको कंगाल बना सकती है.
इन लकड़ियों का प्रयोग न करे
सनातन धर्म में कई पेड़ जैसे बरगद, पीपल, आंवला, अशोक, शमी, नीम, आम, केला और बेल को पूजनीय माना जाता है. इनकी लकड़ियों का प्रयोग यज्ञ, अनुष्ठान आदि शुभ कार्यों के लिए किया जाता है. ऐसे में होलिका दहन के लिए इन पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे पितृ और कालसर्प दोष लगता है. इन दोषों के कारण संतान संबंधी समस्याएं, वैवाहिक जीवन में अशांति आने लगती है. कहते हैं इन पेड़ों को नुकसान पहुंचाने से घर में दरिद्रता का वास होता है. धनवान भी कंगाली की कगार पर आ जाता है
इनका प्रयोग करे
होलिका दहन के लिए गूलर और अरंडी के पेड़ टहनियों का इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं जो किसी सूखे हुए पेड़ की लकड़ी का भी उपयोग कर सकते हैं. होलिका के ऊपर भाग में गाय के गोबर से बने कंडे का प्रयोग करें. ये पर्यावरण के लिए अच्छा माना जाता है.