KNEWS DESK- होली खेलने का मजा तो सभी लेते है मगर होली के साथ अगर समाज की बुराईयों को खत्म करने और समाज को सुधारने की दिशा में काम करने की शुरूआत हो जाए तो भारत का भविष्य सुनहरा हो सकता है। कानपुर के कल्याणपुर में पारस प्रेम सोसाइटी के प्रयास से गरीब और बेसहारा बच्चों को होली में अपनापन का एहसास दिलाया गया और साथ ही उनके साथ हमेशा खड़े रहने का भरोसा दिया गया। गरीब और बेसहारा बच्चों को अपने साथ खड़ा देख बच्चे अपने आपको भावुक होने से रोक नहीं पाए और सोसाइटी के साथ कदम से कदम मिलाते हुए समाज को सुधारने का बेड़ा उठाया।
20 मार्च को कल्यानपुर की मलिन बस्ती में पहुंची पारस प्रेम की टीम ने बच्चों के साथ फूलों की होली खेली और उन्हें रंगों की होली से शरीर को पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में बताया। इसपर बच्चों ने भी पर्यावरण के के बचाव के लिए भविष्य में रंगों की होली खेलने से तौबा किया और साथ ही अपने परिजनों को भी रंगों से होली न खेलने की कसम दिलाई। वहाँ उपस्थित बच्चों ने समाज में फैली बुराईयों को खत्म करने और समाज को सुधारने की दिशा में होने वाले कामों में अपनी सहभागिता को सदैव दर्ज करने की शपथ ली।

सोसाइटी की अध्यक्ष रचना यादव ने बताया कि पारस प्रेम सोसाइटी विगत तीन वर्षों से सभी त्यौहार गरीब बच्चों और बेसहारा के साथ मनाती है ताकि उन्हें गरीबी और अकेलेपन का एहसास न हो। संस्था का सदैव प्रयास रहता है कि किसी भी गरीब को कोई भी त्यौहार फीका न लगे और वो सबके साथ उसी उमंग से त्यौहार मना सके, जिस उमंग से अमीर परिवार के बच्चे मनाते है।
संस्था के सचिव बृजभूषण (राजेश) ने बताया कि बच्चों के साथ त्यौहार मनाने के अलावा बच्चों की पढ़ाई से जुड़े कामों को भी पूरी तन्मयता के साथ किया जाता है ताकि किसी भी बच्चे की पढ़ाई में गरीबी उसका रास्ता न रोके। संस्था आरटीई के तहत गरीब बच्चों को नामी-गिरामी स्कूलों में भर्ती कराया जाता है और साथ ही उनके लिए कापी-किताबों, स्कूल बैग और पढ़ाई से जुड़ी चीजों को उपलब्ध कराया जाता है।