Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन के पर्व की कैसे हुई शुरुआत, जानें इसकी पौराणिक कथा

KNEWS DESK- रक्षाबंधन भाई बहनों के लिए सबसे खास त्योहारों में से एक होता है| इस दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उनको बढ़िया सा गिफ्ट देते हैं| हमेशा लड़ते-झगड़ते भाई बहन इस दिन का पूरे साल काफी बेसब्री से इन्तजार करते हैं| राखी बंधवाने के बाद भाई अपनी बहन को हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन देता है| इस प्यार भरे त्यौहार की शुरुआत कैसे और कब हुई चलिए आज हम आपको बताते हैं…

जानें इसकी पौराणिक कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन हर साल सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि और भद्रा रहित काल में मनाया जाता है| पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में राक्षस राज बलि से तीन पग में उनका सारा राज्य मांग लिया था और उन्हें पाताल लोक में निवास करने को कहा था| तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने मेहमान के रूप में पाताल लोक चलने को कहा| जिसे विष्णु जी मना नहीं कर सके और चले गए लेकिन जब लंबे समय से विष्णु भगवान नहीं लौटे तो माता लक्ष्मी को चिंता होने लगी| तब नारद मुनी ने उन्हें राजा बलि को अपना भाई बनाने की सलाह दी और उनसे उपहार में विष्णु जी को मांगने को कहा| तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में रक्षासूत्र बांधा था और बदले में उनसे अपने पति भगवान विष्णु की मांग की थी| उस समय से ही राखी बांधने की ये परम्परा चली आ रही है|

दूसरी पौराणिक कथा

महाभारत के समय एक बार भगवान कृष्ण की अंगुली में चोट आ गई थी| तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक सिरा कृष्ण जी की चोट पर बांधा दिया| मान्यता के अनुसार इस दिन से रक्षाबंधन जैसा पावन पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई| दुस्शासन जब द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था, तब भगवान कृष्ण ने ही द्रौपदी के मान की रक्षा की थी|

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