KNEWS DESK – नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है, जिसे माँ दुर्गा की उपासना के लिए मनाया जाता है। ‘नवरात्रि’ का अर्थ है ‘नौ रातें’, जिनमें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन एक विशेष स्वरूप की आराधना की जाती है, और हर स्वरूप का अपना खास महत्व होता है। इन रूपों की पूजा से जीवन में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है।
आज नवरात्रि का 9वां दिन है, जिसे महानवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व है। माता दुर्गा का यह स्वरूप सिद्धि और मोक्ष देने वाला माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की विशेष पूजा विधि, भोग और महत्व।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
सिद्धिदात्री माता देवी दुर्गा का नवम और अंतिम स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के नवम दिन की जाती है। सिद्धिदात्री का अर्थ है ‘सिद्धियों को देने वाली देवी’, और उनका यह स्वरूप ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। माता के चार हाथ होते हैं, जिनमें वह कमल, दर्पण, जप माला, और चक्र धारण करती हैं। सिद्धिदात्री माता का वाहन सिंह है, जो शक्ति और गरिमा का प्रतीक है। उनकी आराधना से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ और इच्छाएँ प्राप्त होती हैं, जिससे जीवन में संतोष और समृद्धि का अनुभव होता है। इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से ज्ञान, आत्मशांति और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद मिलता है। नवरात्रि के इस विशेष दिन, सिद्धिदात्री माता की कृपा से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं, और वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।
पूजा का महत्व
महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को सुख-शांति, समृद्धि और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व – ये आठ सिद्धियां हैं जो देवी की कृपा से प्राप्त की जा सकती हैं। इसके साथ ही, मां की पूजा करने से मनुष्य जीवन-मृत्यु के चक्र से निकलकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
महानवमी व्रत और कन्या पूजन
महानवमी के दिन कन्या पूजन की विशेष परंपरा है। इस दिन 9 कन्याओं का पूजन करना शुभ माना जाता है, लेकिन सामर्थ्य अनुसार 5 कन्याओं का पूजन भी किया जा सकता है। कन्या पूजन की विधि इस प्रकार है:
- कन्याओं का स्वागत: कन्याओं को घर पर आदर और सम्मान के साथ बुलाएं।
- पैर धोना: कन्याओं के पैरों को जल या दूध से धोकर उन पर कुमकुम और सिंदूर का टीका लगाएं।
- भोजन कराना: कन्याओं को हलवा, चना, पूरी, सब्जी, केला आदि का स्वादिष्ट भोजन कराएं।
- दान दक्षिणा: भोजन के बाद कन्याओं को अपनी इच्छा अनुसार दान दक्षिणा दें।
- अभिवादन: सभी कन्याओं और लांगूर के चरण स्पर्श करें और उन्हें सप्रेम विदा करें।
मां सिद्धिदात्री का भोग
मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए हलवा, पूरी, चना, फल, खीर और नारियल का भोग लगाना चाहिए। इस दिन जामुनी या बैंगनी रंग के वस्त्र धारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पूजा के अंत में मां की आरती जरूर करें।
मां सिद्धिदात्री का मंत्र
मां सिद्धिदात्री की पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥