शिव शंकर सविता- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हर वर्ष आयोजित होने वाला माघ मेला एक बार फिर श्रद्धा, तप और अध्यात्म का संगम बनने जा रहा है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम पर लगने वाला यह मेला कुंभ का छोटा स्वरूप माना जाता है। वर्ष 2026 में भी जनवरी से फरवरी के बीच माघ मेले का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास में संगम स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि माघ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और साधना का विशेष अवसर माना जाता है। इस मेले की सबसे बड़ी विशेषता कल्पवास है, जिसमें हजारों श्रद्धालु एक महीने तक संगम तट पर रहकर संयमित जीवन जीते हैं। इस दौरान वे प्रतिदिन स्नान, दान, जप-तप और साधना करते हैं।
कब से कब तक लगेगा माघ मेला 2026
माघ मेले की शुरुआत हर साल पौष पूर्णिमा से होती है और समापन महाशिवरात्रि पर होता है। वर्ष 2026 में माघ मेला 3 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से शुरू होकर 15 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक चलेगा। इस अवधि में कई महत्वपूर्ण स्नान पर्व पड़ेंगे, जिन्हें शाही स्नान का दर्जा दिया गया है।
माघ मेला 2026 के प्रमुख स्नान पर्व
- पौष पूर्णिमा स्नान – 3 जनवरी 2026
- मकर संक्रांति स्नान – 14 जनवरी 2026
- मौनी अमावस्या स्नान – 18 जनवरी 2026
- बसंत पंचमी स्नान – 23 जनवरी 2026
- माघ पूर्णिमा स्नान – 1 फरवरी 2026
- महाशिवरात्रि (समापन स्नान) – 15 फरवरी 2026
माघ मेले की विशेषताएं
मेले के दौरान विभिन्न अखाड़ों के शिविर लगते हैं, जहां देशभर से आए साधु-संत तपस्या करते हैं। प्रवचन, धार्मिक कथाएं, यज्ञ और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। इसके साथ ही माघ मेला ग्रामीण संस्कृति, देसी खानपान और पारंपरिक जीवनशैली को करीब से देखने का अवसर भी देता है। माघ मेले में सबसे पवित्र स्नान त्रिवेणी संगम पर किया जाता है। इसके अलावा अरैल घाट और दारागंज घाट भी श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख स्नान स्थल हैं।