KNEWS DESK – 20 अक्टूबर 2024 को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा, जो हिंदू महिलाओं के लिए एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन, महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है और इसे अखंड सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
सरगी का महत्व
सरगी व्रत की शुरुआत का प्रतीक है और इसे सास अपनी बहू को उपहार के रूप में देती हैं। सरगी के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है। यह विशेष अल्पाहार सूर्योदय से 2 घंटे पहले खाया जाता है, ताकि महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत कर सकें। इस वर्ष सूर्योदय 6:30 बजे होगा, इसलिए सरगी खाने का शुभ समय सुबह 4:00 से 5:00 बजे के बीच रहेगा।
सरगी खाने का सही समय तय करने के बाद, महिलाएं अपनी सास, जेठानी या किसी अन्य पूज्य महिला से सरगी का प्रसाद लेकर व्रत की शुरुआत करती हैं। इस दौरान, एक पटरे पर जल से भरा लोटा और थाली में रोली, गेहूं, चावल के साथ मिट्टी का करवा रखा जाता है। व्रती महिलाएं सरगी खाने के बाद दिनभर व्रत करती हैं, जो रात को चंद्रमा की पूजा के साथ समाप्त होता है।
चंद्र दर्शन का समय
करवा चौथ की रात्रि को महिलाएं चंद्रमा के दर्शन करती हैं। इस वर्ष चंद्रमा 9:10 बजे निकलेगा, और इसके दर्शन के बाद महिलाएं भगवान रजनीश को अर्घ्य देकर अपना व्रत समाप्त करेंगी।
सांस्कृतिक महत्व
करवा चौथ न केवल एक व्रत है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का अवसर भी है। इस दिन सुहागिनें अपनी खुशी और समर्पण के प्रतीक के रूप में व्रत करती हैं, जबकि वे अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं।