KNEWS DESK, करवा चौथ का व्रत विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इस वर्ष यह पवित्र पर्व 20 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को मनाए जाने वाले इस व्रत में महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक उपवास करती हैं। इस दिन कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है, और मान्यता है कि कथा सुनने के बिना व्रत अधूरा भी माना जाता है।
करवा चौथ की कथाएं
करवा चौथ व्रत से जुड़ी कई कथाएं हैं जो इसके महत्व को उजागर करती हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख कथाएं-
1. पतिव्रता धोबिन की कथा
बहुत समय पहले तुंगभद्रा नदी के किनारे करवा नाम की एक धोबिन अपने बुजुर्ग पति के साथ रहती थी। एक दिन धोबिन का पति नदी में कपड़े धोते समय एक मगरमच्छ द्वारा पकड़ लिया गया। धोबिन ने कच्चे धागे से मगरमच्छ को बांधकर यमराज से अपने पति की रक्षा की गुहार लगाई। यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी बाकी है, लेकिन तुम्हारे पति का समय आ चुका है। धोबिन की नाराजगी से यमराज ने मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और उसके पति को बचा लिया। इसी घटना के बाद से करवाचौथ मनाने की परंपरा शुरू हुई।
2. साहुकार की बेटी की कथा
एक साहूकार के घर में उसकी सात बेटियां और एक बेटा था। सभी ने करवा चौथ का व्रत रखा। जब रात में सभी भाई भोजन करने बैठे तो उन्होंने बहन से भी भोजन करने के लिए कहा। बहन ने कहा कि वह चंद्रमा के निकलने पर अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी। भाई उसकी भूख को देखकर परेशान हो गए और नगर के बाहर जाकर एक पेड़ पर आग जला दी जिससे बहन को लगा कि चंद्रमा निकल आया है। उसने अर्घ्य देकर भोजन कर लिया, जिससे उसका व्रत भंग हो गया। भगवान गणेश नाराज हो गए और उसके पति बीमार पड़ गए। बहन ने पश्चाताप किया और विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करने लगी। इससे गणेश जी प्रसन्न हुए और उसके पति को जीवनदान दिया।
करवा चौथ का यह व्रत न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है बल्कि यह आस्था और विश्वास का भी प्रतीक है। इस दिन की कथा सुनना और उसे ध्यानपूर्वक समझना व्रति के लिए महत्वपूर्ण होता है, जिससे उसे अपने व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।