KNEWS DESK – कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान आदि करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आपको कार्तिक पूर्णिमा की तारीख, पूजा विधि और महत्वके बारे में विस्तार से बताते हैं|
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत
कार्तिक पूर्णिमा तिथि का आरंभ 26 नवंबर की शाम दोपहर 3 बजकर 53 मिनट से होगा और इसका समापन 27 नवंबर दिन सोमवार दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर होगा। शास्त्रों के अनुसार, उदय तिथि 27 नवंबर में पूर्णिमा तिथि होने के कारण कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 27 नवंबर को ही रखा जाएगा।
स्नान दान का शुभ मुहूर्त
27 नवंबर को अमृत चौघड़िया सुबह 6 बजकर 52 मिनट से 8 बजकर 11 मिनट तक। शुभ चौघड़िया सुबह 9 बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 49 मिनट तक।इन दो शुभ मुहूर्त में आप पूर्णिमा का स्नान और दान कर सकते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं। 27 नवंबर सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग का संयोग रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग का आरंभ दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 28 नवंबर को सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें, इसके बाद किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा संभव नहीं है तो घर में ही गंगाजल डालकर स्नान करें।
स्नान के बाद घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का जल से अभिषेक करें।
फिर विष्णु जी और माता लक्ष्मी को वस्त्र अर्पित कर भोग लगाएं। ध्यान रखें की भोग लगाते समय उसमें तुलसी जरूर डालें।
इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा की कथा पढ़ें और अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
साथ ही चंद्रमा की पूजा भी जरूर करें चंद्रमा को जल देने के लिए कच्चा दूध उसमें डालकर अर्घ्य दें।