KNEWS DESK- नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है| व्रत रखने वाले सभी भक्त कन्याओं को भोजन करवाते हैं और उसके बाद ही अपना व्रत खोलते हैं| कन्या को देवी मां का रूप माना जाता है| माना जाता है, कन्याओं को भोजन कराने से सारे संकट दूर होते हैं और घर में सुख-शान्ति बनी रहती है|
नवरात्रि में अधिकतर लोग नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन करवाते हैं लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं| नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या को भोजन कराना चाहिए| मान्यता के अनुसार, 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के संकट, दोष दूर होते हैं| कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को अर्पित करें| यदि आप कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट करें|
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.51 से 10.41 तक|
दोपहर 01.30- दोपहर 02.55 तक
महानवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 06.27 से 07.51
दोपहर का मुहूर्त दोपहर 1.30 से 02.55 तक
जानें हर आयु की कन्या का महत्त्व
2 साल की कन्या कौमारी मानी जाती है| इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है|
3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है| त्रिमूर्ति के पूजन से धन का आगमन और परिवार का कल्याण होता है|
4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है| इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है|
5 साल की कन्या रोहिणी मनाई जाती है| इनकी पूजा से रोग-मुक्ति मिलती है|
6 साल की कन्या कालिका होती है| इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है|
7 साल की कन्या को चंडिका कहा गया है| इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है|
8 साल की कन्या शांभवी होती है| इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है|
9 साल की कन्या दुर्गा का रूप होती है| इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं|
10 साल की कन्या सुभद्रा होती है| इनकी पूजा से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है|