Jitiya Vrat 2024: 24 या 25 सितंबर कब रखा जाएगा जितिया व्रत, जानें सही तिथि, पूजा का मुहूर्त और पारण के नियम…

KNEWS DESK – हिंदू धर्म में जितिया व्रत का विशेष महत्व है, जिसे माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। यह व्रत केवल संतान की प्रार्थना के लिए ही नहीं, बल्कि जिन लोगों को संतान की प्राप्ति में कठिनाई होती है, उनके लिए भी लाभदायक माना जाता है। यह व्रत कठिन होने के साथ-साथ अनुशासन और श्रद्धा की आवश्यकता रखता है, क्योंकि इसे तीन दिनों तक निराहार रहकर करना होता है।

जितिया व्रत की तिथि

शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत का आयोजन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस वर्ष, अष्टमी तिथि मंगलवार, 24 सितंबर की शाम 5:58 बजे से प्रारंभ होकर बुधवार, 25 सितंबर की शाम 4:47 बजे तक रहेगी। इसलिए इस बार जितिया व्रत 25 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा।

Jitiya Vrat 2024: संतान की लंबी आयु और खुशहाली के लिए इस दिन रखा जाएगा  जितिया का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व | Jitiya vrat 2024 know date  shubh muhurat pujan

व्रत की विधि और नियम

जितिया व्रत से एक दिन पहले, यानी 24 सितंबर को नहाय-खाय की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान करने के बाद देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और केवल एक बार सात्विक भोजन किया जाता है। जितिया का व्रत निर्जला होता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन खाने के साथ-साथ पानी भी नहीं पीना होता।

व्रत का संकल्प लेने के बाद, इसे हर साल निभाना आवश्यक होता है। व्रत का संकल्प लेने के बाद इसे बीच में छोड़ना मना है, क्योंकि ऐसा करने से पाप लगने का खतरा होता है। पूजा विधि में गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की कुश से बनी मूर्ति की पूजा करना शामिल है। इसके अलावा, चील और सियार की गाय के गोबर से मूर्ति बनाकर उसकी पूजा की जाती है।

Jitiya Vrat 2024: जितिया व्रत के दिन इन चीजों का रखे ध्यान, जाने शुभ मुहूर्त,  पूजन विधि और महत्व - NewsGery

पारण की विधि 

जितिया व्रत का पारण अगले दिन, यानी 26 सितंबर 2024 को किया जाएगा, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 04:35 से 05:23 बजे तक रहेगा। पारण के दिन जल्दी स्नान करके सूर्य देव की उपासना की जाती है और उन्हें जल से अर्घ्य दिया जाता है। पारण के दौरान रागी की रोटी, तोरई की सब्जी, चावल और नोनी का साग का सेवन करना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण नियम

इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। महिलाएं बिस्तर पर सोने या बैठने से बचें और भूमि पर दरी डालकर विश्राम करें। इस व्रत का पालन करने से माताओं को संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में खुशहाली आती है।

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