Chhath Puja 2023: छठ महापर्व के तीसरे दिन महिलाओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य, संतान प्राप्ति के लिए छठी मइया से की कामना

KNEWS DESK – कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को छठ महापर्व मनाया जाता है| ये  हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है| महिलाएं इस व्रत को संतान की लंबी आयु, पति के स्वस्थ जीवन और घर-परिवार के सुख-सौभाग्य की कामना के लिए रखती हैं| चार दिवसीय छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है| छठ व्रती महिलाओं ने तीसरे दिन नदी और तालाबों के किनारे डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए छठी मइया से कामना की. इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है| छठ पूजा में सही समय पर ही सूर्य देव को अर्घ्य देने से व्रत का फल मिलता है|

उगते हुए सूर्य को अर्घ्‍य देकर पूरी होगी छठ पूजा, जानें शहरों में सूर्योदय का समय | Chhath puja arghya time 2023 delhi patna gaya bhagalpur Muzaffarpur gorakhpur sunrise time | Hindi News

महिलाओं ने डूबते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य 

पंचांग के अनुसार, लोकआस्था का महापर्व छठ कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है| इस साल छठ पर्व 17-20 नवंबर 2023 तक है| आज षष्ठी तिथि पर 19 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया और अब 20 नवंबर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत संपन्न होगा|

36 घंटे का निर्जला व्रत

छठ पर्व पर व्रती महिलाओं ने पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और कठोर नियमों का पालन भी करती हैं| इसलिए छठ को सबसे कठिन व्रतों में एक माना गया है| वैसे तो छठ देशभर में मनाया जाता है| लेकिन विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में इसकी धूम देखने को मिली| छठ पूजा के दिन व्रती के साथ अन्य लोग भी सूर्य देव को अर्घ्य दिया| अगर आप छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं तो स्नान जरूर कर लें| साथ ही इस दिन नमक का सेवन न करें| आप सेंधा नमकयुक्त भोजन कर सकते हैं| लेकिन प्याज-लहसुन का सेवन भूलकर भी न करें|

संध्या अर्घ्य

छठ पूजा का तीसरा दिन है| इस दिन भक्तों ने संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के पारंपरिक अनुष्ठान का पालन करते हुए, डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया| तीसरे दिन से ही छठ का प्रसाद सावधानीपूर्वक तैयार किया जाता है, जिसका बहुत महत्व होता है| पूरी श्रद्धा-भक्ति के साथ इस व्रत को करने के परिवार में खुशहाली आती है और जीवन में कष्टों से मुक्ति मिलती है| महिलाओं ने शाम के समय पवित्र नदी के तट पर प्रसाद सामग्री से भरे सूप और बांस की टोकरियों के साथ भगवान सूर्य और छठ माता को अर्घ्य दिया| इस दिन व्रत रखने वाले लोग हर तरह के खाने-पीने से परहेज करते हैं| निर्जला व्रत छठ के चौथे या आखिरी दिन समाप्त होता है, जब सूर्य देव और छठी माता को उषा अर्घ्य दिया जाता है|

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