KNEWS DESK – छठ पूजा दिवाली के तुरंत बाद कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मानाया जाता है। इस साल यह त्योहार 17 नवंबर से शुरू हो रहा है और 20 नवंबर तक चलेगा। छठ पूजा में छठी मैया के साथ सूर्य भगवान की विशेष पूजा की जाती है। छठ पूजा के उपरांत छठव्रती को 36 घंटे के कठिन व्रत का पालन करना पड़ता है। दो दिनों के क्रियाकलापों के बाद पूजा के तीसरे दिन, व्रती डूबते हुए सूर्य को जल देती है और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को जल अर्पित कर महापर्व का समापन करती है। हिंदू धर्म में सूर्य को प्रत्येक ऊर्जाओं का स्रोत माना जाता है। यह व्रत पुरुषों और महिलाओं द्वारा मुख्य रूप से अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
सूर्य भगवान की आराधना का महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य भगवान की पूजा करना फलदायी माना गया है। रोजाना प्रात: काल सूर्य भगवान को जल अर्पित करने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं और जीवन में सारे दुख धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। छठ महापर्व पर सूर्य भगवान की पूजा करने से इसका महत्व और अधिक हो जाता है। हिन्दु धर्म के अनुसार, नियमित तौर से सूर्य भगवान को जल अर्पित करने से घर के सभी दोष दूर होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। समाज में आपका मान-सम्मान और गौरव में भी वृद्धि होता है।
छठी मैया का अवतार
हिंदु ग्रंथो के मुताबिक छठी मैया भगवान विष्णु की मानस पुत्री हैं। और यह भी माना जाता है कि छठी मैया सूर्य भगवान की बहन हैं। उन्हें दुर्गा के रूप में देवी कात्यायनी का अवतार माना जाता है। यह भी माना जाता है कि जब ब्रह्मांड के निर्माण के वक्त ब्रह्मा जी ने खुद को दो हिस्सों में बाट लिया था। जिसमें एक हिस्सा पुरुष बना और दुसरे ने महिला का रूप धारण कर लिया। यही बाद में प्रकृति माँ बन गईं जो कि प्रकृति मां ने अपने आप को छः हिस्सों में बांट दिया। इसमें से अंतिम रूप ‘छठी’ को कहा गया है।