KNEWS DESK – छठ पूजा को बिहार का महापर्व माना जाता है| कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा का महापर्व मनाया जाता है| बिहार में आस्था के महापर्व छठ को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है| भगवान सूर्य को समर्पित इस महापर्व में वैसे तो हर जगह महिलाएं ही सूर्य को अर्घ्य देती हैं और व्रत करती हैं| लेकिन, बिहार में एक जगह ऐसी भी है जहां पर महिलाएं नहीं बल्कि पुरुष छठ मैया के इस पावन व्रत को करते हैं| दूसरी जगहों की तरह महिलाएं उनका सहयोग करती हैं| पुरुष व्रती ही डूबते हुए उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं|
रघुनाथपुर गांव में पुरुष करते हैं छठ व्रत
बिहार के समस्तीपुर के मोरना में पड़ने वाले रघुनाथपुर गांव की| यहां पर शुरू हुई छठ की इस अनोखी परंपरा के पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है| गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यह परंपरा कब बदली ये तो उन्हें नहीं पता लेकिन इतना पता है कि गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर नून नदी हैं जहां तक सभी को जाकर अर्घ्य देना होता था इसलिए इसमें पुरुषों को इस व्रत को करने की जिम्मेदारी दी गई|
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यहां पर सभी शादीशुदा पुरुष छठी मैया का व्रत करते हैं और भगवान सूर्य को नदी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं| हर साल जिन लोगों की शादी होती है वह सभी इस त्योहार पर व्रत करते हैं और सभी विधि विधान के अनुसार नियम पालन करते हैं| महिलाएं इस व्रत के दौरान अपने पतियों और घर के अन्य पुरुषों की पूरी मदद करतीं हैं| गांव के बुजुर्गों ने बताया कि उस वक्त गांव के आस-पास कोई तालाब भी नहीं था| बहरहाल अब इस गांव में तालाब भी बन गए हैं लेकिन पुरुषों के द्वारा किए जाने वाले छठ के व्रत की परंपरा लगातार जारी है|
पुरुष देते हैं सूर्य को अर्घ्य
गांव में पुरुष एक व्रती के तौर पर पूरे विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं महिलाओं पर इस महापर्व का प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी होती है| इसके लिए घरों में ठेकुआ, टिकरी, पेड़ा और लड्डू बनाए जाते हैं जो कि प्रसाद के रूप में सभी को बांटे जाते हैं| गांव में कुछ महिलाओं ने भी इस व्रत को करना शुरू कर दिया है लेकिन गांव में ज्यादातर पुरुष ही इस व्रत को करते हैं|