KNEWS DESK- हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला भाई दूज का पर्व इस बार 14 नवंबर की दोपहर 2:36 से 15 नवंबर को दोपहर 1:47 तक मनाया जाएगा| यह पर्व भाई बहन के रिश्ते को दर्शाता है लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर इस पर्व की शुरुआत कैसे हुई ?….चलिए हम आपको बताते हैं इसकी पौराणिक कथा|
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, भाई-बहन के इस पर्व की शुरुआत देवी यमुना ने की थी| यमराज और यमुना दोनों ही सूर्यदेव की संतानें हैं| यमराज अपनी बहन यमुना को बहुत प्यार करते थे| एक बार उन्हें अपनी बहन की काफी याद आ गई क्योंकि उसे देखे हुए उन्हें अरसा बीत गया था| तब वो अचानक बहन यमुना के घर पहुंच गए| भाई को देखकर यमुना अति प्रसन्न हुईं| उन्होंने भाई के स्वागत के लिए ढेरों पकवान बनाए| जब वो जाने वाले थे, तो यमुना ने उनके मस्तक पर तिलक किया, मिष्ठान खिलाया और नारियल भेंट किया| इसके बाद यमराज ने अपनी बहन से कहा कि वो उनसे उपहार स्वरूप एक वरदान मांग लें|
इसके बाद देवी यमुना ने कहा- भैया मेरे पास सब कुछ है, आप हर साल इस दिन कम से कम एक बार जरुर मेरे घर आएं| यमराज ने तथास्तु बोलते हुए कहा- आज के दिन मैं ही नहीं, बल्कि जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उससे माथे पर तिलक करवाएगा, उस भाई को यमराज लंबी उम्र का आशीष देंगे| उसके जीवन की हर बला दूर हो जाएगी| तब से ही यह पर्व हर साल मनाया जाने लगा|
बहनें भाई को क्यों देती हैं नारियल ?
भाई दूज के दिन तिलक करने के बाद बहनें भाई को नारियल का गोला उपहार में देती हैं| माना जाता है कि जब यमराज पहली बार यमुना के घर इस दिन पहुंचे थे, तो यमुना ने उनका खूब सत्कार किया था और चलते समय नारियल का गोला उन्हें उपहार में दिया था| तभी से भाई दूज के दिन नारियल भेंट किया जाने लगा|