NEET PG 2025: काउंसलिंग शेड्यूल पर सस्पेंस, ‘आंसर-की’ विवाद से अटका प्रोसेस?

KNEWS DESK – सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी 2025 परीक्षा में पारदर्शिता की मांग वाली याचिका पर सुनवाई अगले हफ्ते तक के लिए स्थगित कर दी है। इस फैसले से उन छात्रों की बेचैनी और बढ़ गई है, जो मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) की काउंसलिंग शुरू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। छात्रों ने कोर्ट से जल्द सुनवाई करने की अपील की थी।

क्यों उठी पारदर्शिता की मांग?

इस साल नीट-पीजी परीक्षा को लेकर कई बड़े बदलाव हुए। शुरुआत में नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस इन मेडिकल साइंसेज (NBEMS) ने परीक्षा को दो शिफ्ट में कराने का फैसला किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे एक ही शिफ्ट में आयोजित किया गया। इससे नॉर्मलाइजेशन की जरूरत खत्म हो गई।

बाद में बोर्ड ने घोषणा की कि वह परीक्षा के सवाल और आंसर-की जारी करेगा। लेकिन एक नए नोटिस में साफ किया गया कि केवल “क्वेश्चन आईडी” ही जारी होगी, पूरा सवाल नहीं। छात्रों ने इसका विरोध किया और कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूरी पारदर्शिता की मांग की।

कोर्ट की कड़ी टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया—“आपको क्यों लगता है कि परीक्षा पारदर्शी नहीं है? क्या ऐसा इसलिए है कि आपके अंक कम आए हैं?” कोर्ट ने यह भी कहा कि कई बार लोग आर्टिकल 32 का गलत इस्तेमाल करके आंसर-की और नंबरों की मांग करने लगते हैं। इस पर छात्रों ने तर्क दिया कि केवल क्वेश्चन आईडी से आंसर-की जारी करने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि बिना पूरे सवाल देखे जवाबों की जांच संभव नहीं।

काउंसलिंग शेड्यूल पर नजर

MCC जल्द ही 50% ऑल इंडिया कोटा सीटों के लिए काउंसलिंग शेड्यूल जारी करने वाली है। वहीं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने स्पष्ट किया है कि मेडिकल कॉलेजों को सीटों की मान्यता के लिए दोबारा आवेदन करने की जरूरत नहीं है। उन्हें केवल सालभर की रिपोर्ट और फीस से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करानी होगी।

कब हुई थी परीक्षा?

  • परीक्षा की तारीख: 3 अगस्त 2025 (एक ही शिफ्ट)
  • रिजल्ट घोषित: 19 अगस्त 2025
  • टॉपर: पूशन महापात्रा
  • उद्देश्य: देशभर के मेडिकल कॉलेजों में पीजी मेडिकल कोर्स में दाखिला

कर्नाटक का सख्त नियम

कर्नाटक में मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों को सरकारी सेवा देना अनिवार्य किया गया है। इस नियम का पालन न करने पर छात्रों पर 18 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। सरकारी या AIQ सीटों पर एडमिशन लेने वाले छात्रों को 3 साल सरकारी अस्पतालों में सेवा करनी होगी।