24 लाख की नौकरी छोड़ी, घर पर रहकर UPSC पास की आयुषी, बोलीं- ‘सपने पूरे करने दिल्ली जाना ज़रूरी नहीं’

KNEWS DESK – राजस्थान के झुंझुनूं जिले की होनहार बेटी आयुषी पंघाल ने अपने हौसले और संकल्प से वह कर दिखाया जो लाखों युवाओं का सपना होता है। आयुषी ने सालाना 24 लाख रुपये की हाई प्रोफाइल नौकरी छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी की और अपने दूसरे ही प्रयास में UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया 787वीं रैंक हासिल कर ली।

गांव से निकलकर UPSC तक का सफर

नवलगढ़ उपखंड के कुमावास गांव की दोहिती और चिड़ावा के इक्तारपुरा गांव की बेटी आयुषी पंघाल ने अपनी स्कूली शिक्षा के बाद आईआईटी बॉम्बे से बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद मुंबई की एक प्रतिष्ठित कंपनी में बतौर कंसल्टेंट काम शुरू किया और सालाना 24 लाख का पैकेज प्राप्त किया। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने जीवन का मकसद बदला और तय किया कि वह समाज की सेवा के लिए सिविल सर्विस में जाएंगी।

आयुषी ने किसी बड़े शहर की कोचिंग या माहौल की बजाय घर पर रहकर ही तैयारी की। उन्होंने खुद को सोशल मीडिया से पूरी तरह अलग कर दिया और ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर केंद्रित रखा। उनका मानना है कि सफलता के लिए जरूरी है कि इंसान मानसिक रूप से खुश और संतुलित रहे। उन्होंने कहा, “जहां आप खुद को सबसे ज़्यादा सहज महसूस करें, वहीं से तैयारी करनी चाहिए। सफलता का रास्ता किसी खास शहर से होकर नहीं गुजरता।”

आयुषी के माता-पिता दोनों सरकारी शिक्षक हैं। पिता ओमप्रकाश पंघाल और मां प्रवीणा की पोस्टिंग सीकर जिले के आसपास है। आयुषी की बड़ी बहन डॉ. अंकिता मेडिकल क्षेत्र में हैं और भाई लवेश इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं। वहीं उनके चचेरे भाई अमित पंघाल न्यूयॉर्क में कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हैं। इस तरह परिवार में शिक्षा और प्रेरणा का माहौल आयुषी के सफर में एक मजबूत सहारा बना।

ट्रैकिंग से मिली मानसिक ऊर्जा

दिलचस्प बात यह रही कि आयुषी ने अपने इंटरव्यू से ठीक पहले खुद को मानसिक रूप से तनावमुक्त करने के लिए नेपाल में हिमालय की सात दिवसीय ट्रैकिंग की। उन्होंने कहा, “मैं इंटरव्यू से पहले कोई तनाव नहीं लेना चाहती थी। इसलिए पहाड़ों की सैर पर निकल गई। खुशी और मानसिक संतुलन ही आपको बेहतर प्रदर्शन की ताकत देते हैं।”

आयुषी मानती हैं कि तैयारी के दौरान सीनियर्स की सलाह, अनुशासित दिनचर्या और आत्मविश्वास सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली के राजेंद्र नगर में मॉक इंटरव्यू देकर उन्हें असल इंटरव्यू की प्रकृति को समझने में मदद मिली।