यह सीखने का दौर है, जिस दिन फटूंगा सबको पता है क्या होगा, आउट ऑफ फॉर्म पर बोले सूर्यकुमार यादव

डिजिटल डेस्क- भारतीय टी-20 टीम के कप्तान सूर्यकुमार यादव इन दिनों अपने बल्ले से संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। हालिया दक्षिण अफ्रीका सीरीज में भी सूर्या का जादू नहीं चला और इससे पहले खेले गए मुकाबलों में भी वह अपनी पहचान के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए। आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यह साल उनके लिए अब तक चुनौतीपूर्ण रहा है। साल 2025 में सूर्यकुमार यादव ने 20 मैचों की 18 पारियों में महज 213 रन बनाए हैं। उनका औसत सिर्फ 14.20 का रहा है, जबकि स्ट्राइक रेट 125 के आसपास रहा। हैरानी की बात यह है कि इस दौरान उनके बल्ले से एक भी अर्धशतक नहीं निकला। टी-20 फॉर्मेट में जिस बल्लेबाज़ को 360 डिग्री प्लेयर कहा जाता है, उसके लिए यह आंकड़े निश्चित तौर पर चिंता पैदा करते हैं।

टीम इंडिया के लिए चिंता, लेकिन कप्तान निश्चिंत

सूर्यकुमार यादव का आउट ऑफ फॉर्म होना भारतीय टीम के लिए चिंता का विषय जरूर है, लेकिन खुद कप्तान इसे लेकर बिल्कुल परेशान नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने साफ कहा है कि वह इसे “लर्निंग फेज” मानते हैं। उनके मुताबिक, क्रिकेट में हर खिलाड़ी के करियर में ऐसे दौर आते हैं और यही दौर आगे बेहतर बनने की सीख देता है। यह बयान सूर्या ने अहमदाबाद स्थित GLS यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान दिया, जहां उन्होंने न सिर्फ अपने खेल बल्कि जीवन के अनुभव भी साझा किए। इस दौरान उनका बेबाक अंदाज़ और आत्मविश्वास सोशल मीडिया पर खूब सराहा जा रहा है।

‘एक खिलाड़ी हमेशा अच्छे दौर में नहीं रहता’

छात्रों से बातचीत में सूर्या ने कहा, “एक खिलाड़ी हमेशा अच्छे दौर में नहीं रहता। मैं इसे बुरा दौर नहीं कहूंगा, बल्कि यह सीखने की प्रक्रिया है। हर खिलाड़ी के जीवन में ऐसा समय आता है जब आपको लगता है कि आप कुछ नया सीख रहे हैं। मेरे लिए भी यह वही दौर है।” उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल टीम के अन्य खिलाड़ी उनके लिए जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। “मेरे साथ 14 और खिलाड़ी हैं, जो इस समय मेरी भरपाई कर रहे हैं। उन्हें पता है कि जिस दिन मैं फटूंगा, क्या होगा… और मुझे यकीन है कि आप सभी को भी इसका अंदाज़ा है।”

मानसिक रूप से पूरी तरह मजबूत

सूर्यकुमार यादव ने साफ किया कि उनका मेंटल एटीट्यूड पूरी तरह पॉजिटिव है। वह दबाव में नहीं हैं और न ही आलोचनाओं से विचलित। उनका मानना है कि आत्मविश्वास और निरंतर मेहनत ही वापसी का रास्ता दिखाती है। अपने संघर्ष को उदाहरण बनाते हुए सूर्या ने छात्रों से कहा, “अगर आपके एग्जाम में कम नंबर आ जाएं तो क्या आप स्कूल छोड़ देते हैं? नहीं। आप और मेहनत करते हैं। मैं भी यही कर रहा हूं। मैं बेहतर प्रदर्शन के साथ वापसी करना चाहता हूं।”

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