बीसीसीआई का बड़ा फैसला, वनडे और टी20 खिलाड़ियों को विजय हजारे ट्रॉफी में खेलना होगा, सीनियर्स पर भी लागू निर्देश

KNEWS DESK- टीम इंडिया इस समय साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 मैचों की टी20 सीरीज में व्यस्त है। इससे पहले दोनों टीमों के बीच 2 टेस्ट और 3 वनडे मुकाबले भी खेले जा चुके हैं। इसी बीच भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने वनडे और टी20 टीम के खिलाड़ियों को लेकर एक अहम फैसला लिया है, जिसका असर सीधे तौर पर सीनियर क्रिकेटरों पर भी पड़ेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीसीसीआई ने निर्देश जारी किया है कि भारतीय वनडे और टी20 टीम के सभी खिलाड़ियों को विजय हजारे ट्रॉफी 2025-26 में कम से कम दो मैच अनिवार्य रूप से खेलने होंगे। यह आदेश हर खिलाड़ी पर समान रूप से लागू होगा। बोर्ड का मानना है कि इससे खिलाड़ियों की मैच फिटनेस बनी रहेगी और घरेलू क्रिकेट को मजबूती मिलेगी।

विजय हजारे ट्रॉफी भारत का प्रमुख घरेलू लिस्ट-ए टूर्नामेंट है, जिसकी शुरुआत 24 दिसंबर 2025 से होगी और यह 18 जनवरी 2026 तक चलेगा। बीसीसीआई की मौजूदा नीति के तहत सेंट्रली कॉन्ट्रैक्टेड खिलाड़ियों को जब भी राष्ट्रीय टीम की जिम्मेदारियों से फुर्सत मिले, तब घरेलू क्रिकेट में हिस्सा लेना जरूरी होता है।

इस फैसले का सबसे ज्यादा असर उन सीनियर खिलाड़ियों पर देखने को मिलेगा, जो लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय व्यस्तताओं के कारण घरेलू टूर्नामेंट से दूर रहे हैं। बोर्ड का मानना है कि घरेलू क्रिकेट खेलने से सीनियर खिलाड़ियों को निरंतर मैच प्रैक्टिस मिलेगी, वहीं युवा क्रिकेटरों को दिग्गजों के साथ खेलने और उनसे सीखने का अवसर भी मिलेगा। इससे पहले रणजी ट्रॉफी के दौरान भी कई सीनियर भारतीय खिलाड़ी अपनी-अपनी राज्य टीमों के लिए खेलते नजर आए थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, विराट कोहली का विजय हजारे ट्रॉफी में खेलना तय माना जा रहा है। उन्होंने दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन को अपनी उपलब्धता की जानकारी दे दी है और वह दो मुकाबले खेलने वाले हैं। दिलचस्प बात यह है कि विराट कोहली ने आखिरी बार विजय हजारे ट्रॉफी का मैच करीब 16 साल पहले, साल 2010 में खेला था।

वहीं, रोहित शर्मा के भी इस टूर्नामेंट में खेलने की संभावना जताई जा रही है। रोहित ने आखिरी बार विजय हजारे ट्रॉफी में 17 अक्टूबर 2018 को हिस्सा लिया था। यदि रोहित और विराट जैसे सीनियर खिलाड़ी मैदान में उतरते हैं, तो यह घरेलू क्रिकेट के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। बीसीसीआई का यह फैसला साफ संकेत देता है कि बोर्ड अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के साथ-साथ घरेलू ढांचे को भी बराबर मजबूत करना चाहता है।

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