एशिया कप 2025 का महामुकाबला: 41 साल बाद भारत-पाकिस्तान फाइनल में आमने-सामने

शिव शंकर सविता- क्रिकेट इतिहास का एक और सुनहरा अध्याय रविवार, 28 सितंबर 2025 को लिखा जाएगा, जब भारत और पाकिस्तान की टीमें 41 साल बाद पहली बार एशिया कप फाइनल में आमने-सामने होंगी। यह भिड़ंत सिर्फ एक ट्रॉफी की नहीं, बल्कि गर्व, जुनून और तिरंगे की शान का सवाल है। अमेरिकी राजनीतिक लेखक माइक मार्कुसी के शब्दों में कहें तो यह मुकाबला “बिना गोलीबारी का युद्ध” होगा।

महायुद्ध का मंच तैयार

भारत टूर्नामेंट में अब तक अपराजित है और पूरे आत्मविश्वास के साथ फाइनल में उतरेगा। दूसरी ओर पाकिस्तान डगमगाता हुआ यहां तक पहुंचा है, लेकिन फाइनल मुकाबले हमेशा अलग होते हैं। मैदान से बाहर भी तनाव और बयानबाज़ी इस जंग को और दिलचस्प बना रहे हैं। पाकिस्तान के गृह मंत्री और पीसीबी अध्यक्ष मोहसिन नकवी लगातार भड़काऊ बयान देकर माहौल गरमा चुके हैं। यही वजह है कि इस मुकाबले को खेल भावना से ज्यादा इसके नतीजे के लिए याद किया जाएगा।

सूर्या-गंभीर का सबसे बड़ा इम्तिहान

भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव और कोच गौतम गंभीर के सामने अब तक का सबसे बड़ा टेस्ट है। भारत ने ग्रुप और सुपर-4 में पाकिस्तान को मात दी है, लेकिन खिताबी मुकाबला मानसिक और रणनीतिक मजबूती की भी परीक्षा लेता है। सूर्या के उस बयान पर भी सबकी नज़र है जिसमें उन्होंने कहा था कि “पाकिस्तानी टीम भारत के आसपास भी नहीं है।” अब सवाल है कि क्या टीम इंडिया इस दावे को फाइनल में साबित कर पाएगी।

भारत की अभिषेक शर्मा पर निर्भरता

भारत का अपराजित सफर आसान दिखा, लेकिन चोटों ने चिंता बढ़ाई। श्रीलंका के खिलाफ हार्दिक पंड्या चोटिल हुए और अभिषेक शर्मा को ऐंठन की समस्या हुई। हालांकि कोच मोर्ने मोर्कल ने पुष्टि की है कि अभिषेक पूरी तरह फिट हैं।
अभिषेक इस टूर्नामेंट में भारत के ‘बैटिंग पिलर’ बने हुए हैं—6 मैच में 309 रन। उनके बाद तिलक वर्मा सिर्फ 144 रन बना पाए हैं। यानी बल्लेबाजी में टीम इंडिया की निर्भरता अभिषेक पर ही टिक गई है। सवाल यह है कि अगर फाइनल में अभिषेक जल्दी आउट हो गए तो भारत का ‘प्लान बी’ क्या होगा?

बाकी बल्लेबाजों पर दबाव

सूर्यकुमार यादव से अब तक कोई बड़ी पारी नहीं आई है। शुभमन गिल अच्छी शुरुआत के बाद मैच खत्म करने में असफल रहे हैं। संजू सैमसन और तिलक वर्मा ने केवल औपचारिक मैचों में योगदान दिया है। फाइनल में इन्हें जिम्मेदारी निभानी ही होगी।

पाकिस्तान की चुनौती

पाकिस्तान भले ही लड़खड़ाता हुआ फाइनल तक पहुंचा हो, लेकिन भारत जानता है कि हरी जर्सी वाले खिलाड़ियों का दबाव भरे मैचों में प्रदर्शन बदल सकता है। यही वजह है कि टीम इंडिया को अपने अपराजित रिकॉर्ड को बरकरार रखने के लिए 100% झोंकना होगा।