KNEWS DESK – भारत के महान उद्योगपति रतन नवल टाटा, जिनका नाम बिजनेस की दुनिया में हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा, का 9 अक्टूबर की देर रात निधन हो गया। 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरा देश शोकमग्न है। सोशल मीडिया पर तमाम बड़े उद्योगपति, राजनेता और फिल्मी हस्तियां उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
रतन टाटा का जन्म 27 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। टाटा ग्रुप की बागडोर संभालते हुए, उन्होंने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं और कंपनी की पहचान भारत की सबसे प्रतिष्ठित और नैतिकता पर आधारित कंपनियों में की जाती है। उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए, उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मविभूषण, से सम्मानित किया गया था।
रतन टाटा की निजी जिंदगी: अकेलेपन की कहानी
रतन टाटा की प्रोफेशनल जिंदगी जितनी शानदार रही, उतनी ही उनकी निजी जिंदगी में रहस्य और भावुकता थी। उनके शादी न करने के फैसले को लेकर लोगों में हमेशा उत्सुकता बनी रही। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद इस विषय पर खुलासा किया था। सिमी ग्रेवाल के चर्चित शो “रेंडेजवस” के दौरान रतन टाटा ने इस बारे में दिल खोलकर बात की थी।
रतन टाटा ने बताया था कि उनका भी सपना था कि वे एक दिन घर बसाएंगे। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे अमेरिका के लॉस एंजिल्स में नौकरी कर रहे थे। वहीं उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई, जिसे वे दिल से चाहने लगे। उन्होंने शादी की योजना भी बनाई थी। हालांकि, 1962 में चीन और भारत के बीच हुए युद्ध के कारण हालात ऐसे बने कि वह रिश्ता टूट गया।
रतन टाटा ने उस समय अपनी बीमार दादी की देखभाल के लिए भारत लौटने का फैसला किया, जबकि उनकी प्रेमिका के परिवार ने उसे युद्ध के कारण भारत आने से रोक दिया। यही वह कारण था, जिसने रतन टाटा को जीवनभर अविवाहित रखा। इस इंटरव्यू में उन्होंने अपने अकेलेपन का भी जिक्र किया और बताया कि वे आज भी उस समय को याद करते हैं।
व्यवसाय की दुनिया में रतन टाटा का योगदान
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जिनमें से टेटली, जगुआर लैंड रोवर, और कोरस स्टील जैसे बड़े सौदे प्रमुख थे। उन्होंने भारतीय व्यापारिक समुदाय को विश्व स्तरीय दृष्टिकोण प्रदान किया और अपने दूरदर्शी नेतृत्व से टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया।
रतन टाटा को एक संवेदनशील, दयालु और नैतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में जाना जाता था। उनके मानवीय दृष्टिकोण और व्यवसाय की दुनिया में नैतिकता को प्राथमिकता देने के कारण वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहे। टाटा नैनो जैसी परियोजनाओं के माध्यम से उन्होंने भारतीय मध्यम वर्ग के सपनों को साकार करने का प्रयास किया। उनका विजन केवल मुनाफे तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज की सेवा और जनकल्याण को भी प्राथमिकता दी।
एक सच्चे महानायक की विदाई
रतन टाटा के निधन से न केवल व्यापार जगत को, बल्कि पूरे भारत को एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनकी सादगी, दूरदर्शिता, और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि कैसे एक व्यक्ति अपने काम के जरिए न केवल व्यवसायिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी समाज में बदलाव ला सकता है।
उनके निधन पर देशभर में शोक व्यक्त किया जा रहा है, और सोशल मीडिया पर कई नामी हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। रतन टाटा का योगदान और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।