KNEWS DESK – केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में 64वें SIAM वार्षिक सम्मेलन में पेट्रोल और डीजल वाहनों के पर पड़ रहे प्रभाव को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल के खिलाफ उनका कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन वायु प्रदूषण के चलते लोगों की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। गडकरी ने वायु गुणवत्ता सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय करने की बात की।
मंत्री के तौर पर ली जिम्मेदारी
गडकरी ने स्वीकार किया कि भारत में हर साल लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और उन्होंने इसे अपने मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी माना। उन्होंने कहा कि मिश्रित ईंधन के साथ प्रयोग करना एक चुनौती है, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास जारी हैं। गडकरी ने बताया कि डीजल में मेथनॉल मिलाने जैसे उपाय प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख
गडकरी ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVS) की ओर बढ़ते रुझान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सब्सिडी के बिना भी इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत पेट्रोल और डीजल वाहनों के बराबर हो सकती है क्योंकि उत्पादन लागत में कमी आ रही है। गडकरी ने कहा कि दो साल के भीतर, इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत पेट्रोल और डीजल वाहनों की लागत के बराबर हो सकती है, और अगर वित्त मंत्री और भारी उद्योग मंत्री चाहें तो सब्सिडी देने पर विचार किया जा सकता है।
प्रदूषण और ऊर्जा का भविष्य
गडकरी ने यह भी उल्लेख किया कि भारत डीजल पर सालाना 100 करोड़ रुपये खर्च करता है, जो प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा की ओर रुख करने की आवश्यकता है ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। गडकरी ने 2014 में डीजल पीवी का हिस्सा 53 प्रतिशत था, जो अब घटकर 18 प्रतिशत रह गया है, इस बदलाव को भी उल्लेखनीय बताया।
गडकरी के बयान ने एक बार फिर से पेट्रोल और डीजल वाहनों के स्वास्थ्य पर प्रभाव और भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के महत्व को लेकर चर्चा को जन्म दिया है। इसके साथ ही, यह भी साफ हो गया है कि भारत की सरकार वायु गुणवत्ता सुधार और हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।