सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खनन कंपनियों के शेयरों में गिरावट, एनएमडीसी, टाटा स्टील और वेदांता प्रभावित

KNEWS DESK-  बुधवार यानी आज भारतीय शेयर बाजार में खनन कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जो कि सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद हुआ। प्रमुख खनन कंपनियों जैसे एनएमडीसी, टाटा स्टील, वेदांता, हिंदुस्तान जिंक और मोइल के शेयरों में 5 फीसदी तक की गिरावट देखी गई। यह गिरावट सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आई है, जिसमें अदालत ने राज्यों को खनिज संपदा से संबंधित रॉयल्टी बकाया वसूलने का अधिकार दे दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि 25 जुलाई का फैसला केवल भविष्य के लिए लागू होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्यों को खनिज अधिकारों और खनिज वाली जमीन पर टैक्स लगाने का पूरा अधिकार है, और वे 1 अप्रैल, 2005 से पहले के रॉयल्टी बकाया भी मांग सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार और खनन कंपनियों को अगले 12 सालों में यह बकाया चुका सकते हैं, लेकिन इस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। इस फैसले के साथ ही, 1989 के पुराने फैसले को पलटते हुए, कोर्ट ने राज्यों को खनिजों और खनिज वाली जमीन पर रॉयल्टी लगाने का अधिकार दे दिया है, जो पहले केवल केंद्र सरकार के पास था।

कंपनियों पर असर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खनन कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है। एनएमडीसी के शेयर 5 फीसदी से ज्यादा गिर गए, जबकि टाटा स्टील के शेयर 4 फीसदी से अधिक नीचे चले गए। वेदांता, हिंदुस्तान जिंक, मोइल और एमएमटीसी के शेयरों में भी करीब 4 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली। कोल इंडिया, ओरिसा मिनरल्स डेवलपमेंट कंपनी और आशापुरा माइनकेम पर भी दबाव रहा।

बाजार की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने खनन क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाया है, जिसके परिणामस्वरूप कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है। कंपनियों को अब न केवल उच्च रॉयल्टी का भुगतान करना होगा, बल्कि पुराने बकाए भी चुकाने होंगे। इससे उनकी कमाई पर दबाव पड़ सकता है और इसके चलते शेयर बाजार में नकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने खनन कंपनियों के लिए नए वित्तीय दबाव और कानूनी चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। कंपनियों को राज्यों को पुराने बकाए के भुगतान के साथ-साथ नए रॉयल्टी टैक्स का भी सामना करना पड़ेगा। यह फैसले का असर न केवल इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा, बल्कि इससे शेयर बाजार में भी अस्थिरता आ सकती है। इस पर नजर बनाए रखना जरूरी होगा कि कंपनियां इस नई स्थिति से कैसे निपटती हैं और इसके प्रभाव को कम करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाती हैं।

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