GST काउंसिल का बड़ा फैसला: बीड़ी सस्ती, सिगरेट और गुटखा हुआ महंगा, जानें कितना GST लगा

KNEWS DESK- 3-4 सितंबर को हुई GST काउंसिल की बैठक में सरकार ने बीड़ी पर टैक्स घटाने और सिगरेट-गुटखा पर टैक्स बढ़ाने का बड़ा फैसला लिया है। 22 सितंबर से लागू होने वाली नई दरों के बाद जहां बीड़ी सस्ती हो जाएगी, वहीं सिगरेट और गुटखा जैसे उत्पाद महंगे हो जाएंगे। माना जा रहा है कि इस निर्णय के पीछे आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक गणित छिपा है।

बीड़ी पर GST 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। बीड़ी में इस्तेमाल होने वाले तेंदू पत्तों पर GST 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। सरकार का तर्क है कि बीड़ी उद्योग से 70 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं और ज्यादा टैक्स के कारण उनका रोजगार खतरे में पड़ रहा था।

देश के सबसे बड़े बीड़ी पत्ता उत्पादन वाले राज्य

  1. मध्य प्रदेश – देश के करीब 25% तेंदू पत्ते यहां से आते हैं।
  2. छत्तीसगढ़ – लगभग 20% उत्पादन के साथ दूसरे नंबर पर।
  3. ओडिशा – यहां से 15-20% तेंदू पत्ते मिलते हैं, जिन्हें सबसे उत्तम माना जाता है।
  4. महाराष्ट्र – बीड़ी निर्माण का बड़ा केंद्र, लाखों लोगों को रोजगार।
  5. झारखंड – बीड़ी निर्माण और तेंदू पत्ता उत्पादन में अहम।
  6. आंध्र प्रदेश – पारंपरिक उद्योग, खासकर महिलाओं की बड़ी भागीदारी।
  7. राजस्थान – दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में तेंदू पत्ते की भरपूर उपलब्धता।
  8. गुजरात – बीड़ी पत्ता उत्पादन में शामिल राज्य।

तंबाकू उत्पादन में गुजरात नंबर वन

  • गुजरात – देश का 41% तंबाकू उत्पादन यहीं होता है, खासकर सौराष्ट्र क्षेत्र में।
  • आंध्र प्रदेश – 22% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर।
  • कर्नाटक – 16% उत्पादन के साथ तीसरे नंबर पर।

बीड़ी उद्योग 7.2 करोड़ उपभोक्ता, 70 लाख रोजगार

बीड़ी देखने में सस्ती जरूर लगती है, लेकिन यह अरबों का कारोबार है। 7.2 करोड़ लोग बीड़ी पीते हैं। 70 लाख लोगों को रोजगार देता है।अधिकतर बीड़ी निर्माण कुटीर उद्योग के रूप में होता है, जहां लाखों महिलाएं घर से काम करती हैं लेकिन उन्हें बहुत कम मेहनताना मिलता है।

सिगरेट और गुटखा पर टैक्स बढ़ा

जहां बीड़ी सस्ती हुई है, वहीं सरकार ने सिगरेट और गुटखा पर GST 28% से बढ़ाकर 40% कर दिया है। नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी। हालांकि बीड़ी सस्ती हो गई है, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से यह सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक मानी जाती है।

इसमें न तो फिल्टर होता है, न ही पैकेजिंग पर सख्त चेतावनी। सरकार का यह फैसला रोजगार और उद्योग को बचाने के लिहाज से लिया गया है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार बीड़ी और तंबाकू उत्पादों से होने वाला नुकसान किसी भी कीमत पर कम नहीं आंकना चाहिए।