नई दिल्ली: अगले महीने 9 सितंबर को जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) काउंसिल की 54वीं बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाने और जीएसटी कम्पेंसशन सेस (मुआवजा उपकर) की अवधि को बढ़ाने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि बैठक के दौरान टैक्स स्लैब में किसी भी बदलाव का निर्णय नहीं लिया जाएगा।
लग्जरी गुड्स और कम्पेंसशन सेस पर होगा फोकस
वित्त मंत्री ने कहा कि बैठक में विशेष रूप से लग्जरी गुड्स पर टैक्स दरों और जीएसटी कम्पेंसशन सेस के संभावित विस्तार पर चर्चा की जाएगी। वर्तमान में यह सेस राज्यों को जीएसटी के कारण होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई के लिए लागू किया गया है। जीएसटी कम्पेंसशन सेस की अवधि जून 2025 तक बढ़ाई जा सकती है, यदि राज्यों द्वारा ऐसा अनुरोध किया जाता है।
टैक्स दरों को सरल बनाने पर जोर
जीएसटी दरों को सरल बनाने की दिशा में सरकार का यह प्रयास है कि किसी भी उत्पाद पर टैक्स नहीं बढ़ाया जाए। पिछले सप्ताह बिहार के डिप्टी मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व में हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी, और सभी लोग इस बात पर सहमत थे कि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव न हो। वित्त मंत्री सीतारमण ने राज्यों के वित्त मंत्रियों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने राजनीतिक मतभेदों को किनारे रखकर राजस्व बढ़ाने के लिए सहयोगात्मक प्रयास किए हैं।
हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर भी होगी चर्चा
बैठक के दौरान हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस को 18 प्रतिशत टैक्स के दायरे से बाहर रखने पर भी चर्चा की जाएगी। यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जिससे आम लोगों को राहत मिल सकती है।
मुआवजा राशि और उसके उपयोग पर विचार
कर्नाटक सहित कई राज्यों ने इस मुद्दे को उठाया है कि वह राशि, जो राज्यों को मुआवजे के तौर पर मिलनी चाहिए थी लेकिन केंद्र ने कोविड-19 के दौरान उसका उपयोग किया, के बारे में फैसला लिया जाए। जीएसटी काउंसिल इस पर भी विचार करेगी कि राज्यों के बीच जीएसटी संसाधनों का बंटवारा कैसे किया जाए। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसमें बदलाव की मांग कई राज्यों द्वारा जीएसटी के लागू होने के समय से ही की जा रही है।
मौजूदा उपकर का भविष्य और उसका वितरण
मुआवजा उपकर की वसूली जून 2022 में समाप्त हो गई थी, लेकिन इस उपकर के जरिये जमा की गई राशि का इस्तेमाल कोविड-19 के दौरान केंद्र सरकार द्वारा उधार लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के ब्याज और मूलधन को चुकाने के लिए किया जा रहा है। जीएसटी काउंसिल को अब मौजूदा जीएसटी मुआवजा उपकर के भविष्य और ऋण चुकाने के बाद राज्यों के बीच इसके वितरण के तरीकों पर फैसला लेना होगा।
9 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाने और जीएसटी कम्पेंसशन सेस को बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। राज्यों के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। सभी राज्यों से अनुरोध है कि वे अपनी आवश्यकताओं और मुद्दों को इस बैठक में स्पष्ट रूप से रखें, ताकि एक संतुलित और सहकारी निर्णय लिया जा सके।