विनीत कुमार सिंह ने किया ‘छावा’ फिल्म के हिंसा वाले सीन पर चौंकाने वाला खुलासा, कहा- असल क्रूरता तो और भी ज्यादा थी

KNEWS DESK-  बॉलीवुड अभिनेता विकी कौशल की फिल्म ‘छावा’ इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर रही है। फिल्म को दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है, और अब तक यह दुनियाभर में 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर चुकी है, जबकि भारतीय बॉक्स ऑफिस पर इसका कलेक्शन 500 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है। फिल्म में विकी कौशल ने छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे, छत्रपति संभाजी महाराज का किरदार निभाया है। वहीं, उनके खास दोस्त कवि कलश के रूप में अभिनेता विनीत कुमार सिंह नजर आए हैं, जिन्हें दर्शकों ने इस रोल में काफी सराहा है।

हालांकि, अब विनीत कुमार सिंह ने फिल्म में दिखाई गई हिंसा को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा किया है। आरजे रौनक के पॉडकास्ट पर पहुंचे विनीत ने बताया कि फिल्म में दिखाई गई क्रूरता और हिंसा असलियत में घटित हुई घटनाओं का केवल आधा हिस्सा ही है। उन्होंने यह भी कहा कि जो कुछ भी फिल्म में दिखाया गया है, वह असल में और भी ज्यादा भयंकर था।

फिल्म के क्लाइमैक्स में छत्रपति संभाजी महाराज के टॉर्चर को दर्शाया गया है, जो औरंगजेब द्वारा किया जाता है। यह सीन दर्शकों में दो हिस्सों में बंटने का कारण बना। इस पर विनीत कुमार ने कहा, “फिल्म शुरू होने से पहले, मैं खुद छत्रपति संभाजी महाराज और कवि कलश की समाधि पर गया था। वहां मैंने आधे दिन का समय बिताया। समाधि के पास बैठकर, मुझे लोगों से बहुत सारी कहानियां सुनने को मिली। उस दौरान मुझे जो क्रूरता सुनाई गई, वह फिल्म में जो दिखाया गया है, उसका केवल एक छोटा हिस्सा था। और आप सोचिए, जब कोई व्यक्ति एक महीने से ज्यादा समय तक टॉर्चर होता है, तो उस स्थिति में क्या हो सकता है? यह सिर्फ एक छोटी सी झलक थी, असल क्रूरता उससे कहीं ज्यादा थी।”

विनीत कुमार ने आगे कहा, “मैं डॉक्टर रहा हूं और मैंने इमरजेंसी में घायल मरीजों को देखा है। जब उनका इलाज किया जाता है, तो एंटीसेप्टिक लगाते समय उनके मुंह से चीखें निकलती हैं, और उस दर्द को वे बयां नहीं कर सकते। अब सोचिए, यहां फिल्म में जिस तरीके से बदन को छीलकर उस पर नमक लगाया जा रहा है, यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि असल में हुई घिनौनी क्रूरता का हिस्सा था। यह एक ऐसी यातना थी, जिसका सिर्फ चित्रण किया गया है, लेकिन वास्तविकता उससे कहीं ज्यादा भयावह थी। आप वहां के लोगों से मिलकर और उनसे ये कहानियां सुन सकते हैं।”

विनीत ने फिल्म में छत्रपति संभाजी महाराज की शारीरिक यातनाओं को लेकर गहरी चिंता जताई और कहा कि यह न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह उन सच्चाईयों को सामने लाने की कोशिश थी जो आमतौर पर लोगों तक नहीं पहुंच पातीं। फिल्म में जो टॉर्चर दिखाया गया है, वह मात्र एक अंश था, जबकि असल में वह यातनाएं कहीं अधिक भयावह और जघन्य थीं।

विनीत कुमार सिंह का यह खुलासा ‘छावा’ फिल्म की हिंसा और क्रूरता को एक नए दृष्टिकोण से दर्शाता है। फिल्म में छत्रपति संभाजी महाराज के संघर्ष और उनके साथ हुई दरिंदगी को बेहद प्रभावशाली तरीके से दिखाया गया है। हालांकि, विनीत के अनुसार असल घटनाओं की क्रूरता को पूरी तरह से फिल्म में नहीं दिखाया गया, लेकिन फिल्म के माध्यम से उस समय की भयावहता और वीरता को दर्शकों तक पहुंचाना महत्वपूर्ण था। ‘छावा’ न केवल एक ऐतिहासिक फिल्म है, बल्कि यह भारतीय इतिहास के एक अज्ञात पक्ष को उजागर करने का एक प्रयास भी है।

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