‘जादू आज भी कायम’… दिलीप कुमार की 103वीं जयंती पर बोले महेश भट्ट

KNEWS DESK – हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में समय-समय पर कई दिग्गज कलाकार आए, अपनी प्रतिभा से चमके और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। लेकिन दिलीप कुमार वह नाम हैं जिनकी गहराई, संवेदनशीलता और अभिनय की सच्चाई का आज भी कोई मुकाबला नहीं। पांच दशक लंबे करियर में उन्होंने किरदार को इस तरह जिया कि दर्शक कलाकार नहीं, बल्कि वही चरित्र देखते थे।

कई पीढ़ियों के सुपरस्टार — अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र से लेकर आमिर खान तक — दिलीप कुमार को अपना उस्ताद और प्रेरणा मानते रहे हैं।

महेश भट्ट ने कही दिल छू लेने वाली बातें

फिल्ममेकर महेश भट्ट ने दिलीप कुमार को याद करते हुए कहा, “यूसुफ खान, जिन्हें दुनिया दिलीप कुमार के नाम से जानती है, वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे—बल्कि एक विरासत थे।वह भारत की आत्मा थे, जिनका प्रभाव बिना किसी मांग या प्रयास के, खुद-ब-खुद बनता चला गया।” “मुगल–ए–आजम के सलीम से लेकर गंगा जमुना के ‘हे राम’ तक—उनकी आवाज, भाव और प्रस्तुति स्मृति बनकर आज भी जीवित है।”

महेश भट्ट ने यह भी कहा कि उनके दौर के आधे सितारे दिलीप कुमार की एक्टिंग की नकल करते थे और आधे उनसे अलग दिखने की कोशिश करते थे। इतना बड़ा असर केवल कुछ ही कलाकार छोड़ पाते हैं।

अमिताभ बच्चन ने सुनाया ‘शक्ति’ का किस्सा

महेश भट्ट ने बताया कि हाल ही में एक विज्ञापन शूट के दौरान उनकी मुलाकात अमिताभ बच्चन से हुई। बातचीत दिलीप साहब पर शुरू हुई और फिर पहुंची फिल्म ‘शक्ति’ के फाइनल सीन पर।

अमिताभ ने कहा फिल्म का एक बेहद भावुक सीन मुंबई एयरपोर्ट पर शूट होना था| पिता (दिलीप कुमार) बेटे (अमिताभ) को रोकते हैं, गोली चलाते हैं, और बेटा पिता की बाहों में गिर जाता है, समय कम था, क्रू बेचैन था, टेक्निशियन भुनभुना रहे थे

तभी दिलीप कुमार ने सबको डांटते हुए कहा — “शांति चाहिए।” उन्होंने लोकेशन पर गार्ड तैनात कराए ताकि यंग एक्टर्स डरें नहीं और अमिताभ अपने भावों में पूरी तरह उतर सकें। अमिताभ ने कहा, “जब भी मैं वह सीन देखता हूं, मुझे दिलीप साहब सिर्फ एक महान अभिनेता नहीं, बल्कि एक महान इंसान के रूप में भी नज़र आते हैं।”

“दिलीप कुमार जैसे न थे, न होंगे”

महेश भट्ट ने कहा कि अगर दिलीप साहब आज होते तो 103 साल के हो गए होते। उन्होंने धर्मेंद्र का जिक्र किया, जो अक्सर कहा करते थे, “न दिलीप कुमार जैसा कोई था… न होगा।” लेकिन अफसोस, दिलीप साहब को अपना गुरु मानने वाले धर्मेंद्र भी अब दुनिया से रुखसत हो चुके हैं। रह गई हैं उनकी कहानियां, यादें और वे फिल्में जो आने वाली पीढ़ियों को अभिनय की असली परिभाषा समझाती रहेंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *