शाहिद कपूर के बच्चे अपने दादा पंकज कपूर को बुलाते हैं ‘नो रूल मैन’, जानें क्या है खास वजह

KNEWS DESK – बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता पंकज कपूर न केवल अपने अभिनय के लिए जाने जाते हैं, बल्कि अपने परिवार के साथ भी उनके गहरे और खास रिश्ते हैं। खासकर जब बात उनके पोते-पोतियों की हो, तो पंकज कपूर का दिल उनके लिए हमेशा खुला रहता है।

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दो शादियां और परिवार

पंकज कपूर ने अपने जीवन में दो बार शादी की। 1979 में उन्होंने पहली शादी नीलिमा अज़ीम से की, लेकिन उनका यह रिश्ता 1984 में खत्म हो गया। नीलिमा से उनके एक बेटे शाहिद कपूर हैं, जो आज बॉलीवुड के सफल अभिनेताओं में गिने जाते हैं। 1988 में पंकज ने दूसरी शादी मशहूर अभिनेत्री सुप्रिया पाठक से की, जिनसे उन्हें दो बच्चे सना और रुहान हैं।

‘नो-रूल मैन’ बाबा

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान पंकज कपूर ने अपने पोते-पोतियों के साथ अपने खास रिश्ते के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि जब भी शाहिद कपूर के बच्चे उनके घर आते हैं, तो उनके लिए कोई नियम या सीमाएं नहीं होतीं। पंकज कपूर को उनके पोते-पोती प्यार से ‘नो-रूल मैन’ कहते हैं, क्योंकि उनके घर में बच्चों को किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं किया जाता।

पंकज कपूर ने इस बारे में कहा, “जब मेरे पोते-पोती मेरे घर आते हैं, तो मैंने हमेशा उन्हें बताया है कि बाबा के घर में कोई नियम नहीं होते। वे यहां आकर जो चाहें कर सकते हैं। यही वजह है कि उन्हें हर बार बाबा के घर आना बहुत पसंद है।”

खुली छूट, लेकिन नजर हमेशा रहती है

हालांकि, पंकज कपूर ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही उन्होंने बच्चों को खुली छूट दे रखी है, लेकिन उनकी नजर हमेशा उन पर रहती है। अगर वे कुछ गलत करते हैं, तो वह उन्हें सुधारने के लिए जरूर टोकते हैं। पंकज कपूर मानते हैं कि बच्चों को स्वतंत्रता देनी चाहिए, ताकि वे खुद को व्यक्त कर सकें और अपने निर्णय खुद ले सकें।

शाहिद और मीरा का माता-पिता के रूप में नजरिया

शाहिद कपूर और उनकी पत्नी मीरा राजपूत भी अपने बच्चों को लेकर बहुत खुले विचार रखते हैं। पंकज कपूर ने बताया कि शाहिद और मीरा अपने बच्चों पर ज्यादा सख्ती नहीं करते और चाहते हैं कि उनके बच्चे जब बाबा के घर आएं, तो वे पूरी तरह से स्वतंत्र महसूस करें। पंकज कपूर के अनुसार, यह आज के समय में बच्चों को समझने और उनके साथ एक मजबूत रिश्ता बनाने का सबसे अच्छा तरीका है। उनके इस ‘नो-रूल’ दृष्टिकोण ने न केवल उनके पोते-पोतियों के दिलों में खास जगह बनाई है, बल्कि यह भी साबित किया है कि कैसे दादा-दादी का प्यार निस्वार्थ और अटूट होता है।

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