KNEWS DESK – ग्लोबल आइकन, देसी गर्ल और बहुभाषी सुपरस्टार प्रियंका चोपड़ा एक बार फिर इंडियन सिनेमा में धमाकेदार वापसी करने जा रही हैं। करीब 7 साल बाद प्रियंका एक भारतीय फिल्म में दिखाई देंगी—एस.एस. राजामौली की मेगा फिल्म ‘वाराणसी’, जिसमें महेश बाबू लीड रोल में हैं। लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे सिर्फ ग्लैमर नहीं, बल्कि सालों की अथक मेहनत, संघर्ष और कई निजी कुर्बानियां भी छिपी हैं।
करियर के लिए किए बड़े बलिदान
अबु धाबी में आयोजित ब्रिज समिट में प्रियंका ने अपने सफर, संघर्ष और करियर के लिए किए त्यागों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि एक सफल महिला बनने के लिए उन्हें अपनी निजी जिंदगी को काफी हद तक पीछे छोड़ना पड़ा।प्रियंका ने कहा, “जब मैंने काम शुरू किया था, मैं बिल्कुल भी सिलेक्टिव नहीं थी। जो भी काम मिलता, मैं कर लेती थी… क्योंकि मेरे लिए काम मिलना ही बहुत बड़ी बात थी।” उन्होंने बताया कि करियर की शुरुआत में वह बेहद लालची थीं, “20s में मैं हर ऑफर स्वीकार कर लेती थी। मैं हर दिन काम करना चाहती थी।”
“डिसिप्लिन और वर्क एथिक्स ने दिलाया ग्लोबल स्टेटस”
प्रियंका का कहना है कि आज वह जिस मुकाम पर हैं, हॉलीवुड से लेकर ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर उसका पूरा क्रेडिट उनके डिसिप्लिन और वर्क एथिक्स को जाता है।
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उन्होंने साफ कहा कि आज उन्हें किसी प्रोजेक्ट को चुनने या ठुकराने की आजादी सिर्फ इसलिए है क्योंकि करियर के शुरुआती सालों में उन्होंने खुद को पूरी तरह काम में झोंक दिया था।
जन्मदिन, त्योहार, परिवार—सब हुआ कुर्बान
प्रियंका ने पहली बार यह भी साझा किया कि काम की वजह से उन्होंने अपनी निजी जिंदगी को किस हद तक नजरअंदाज किया| जन्मदिन नहीं मनाए। क्रिसमस और दिवाली तक मिस कीं। पापा के अस्पताल में भर्ती होने पर भी मिलने नहीं जा पाईं। परिवार के साथ समय बिताने का मौका भी गंवाया। उन्होंने कहा, “मैंने अपने पापा को बहुत मिस किया… लेकिन काम के लिए निजी चीजों को पीछे रखना जरूरी था।”
“अब मेरे पास विकल्प हैं
प्रियंका ने भावुक होकर कहा कि उनके 20s का संघर्ष आज उनकी आजादी बन गया है। “आज मैं फैसले ले सकती हूं, किस प्रोजेक्ट को हां कहना है, किसे नहीं। अगर तब मेहनत न करती, तो आज ये विकल्प मेरे पास नहीं होते।”
अंत में, प्रियंका ने अपने युवा स्वरूप का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, “मैं आज जो भी हूं, उस 20 साल की लड़की की हिम्मत और मेहनत की वजह से हूं।”