पंकज त्रिपाठी की बेटी आशी थिएटर से करेंगी डेब्यू, पिता ने खुद दी ट्रेनिंग, ‘ला-इलाज’ नाटक से शुरू होगा एक्टिंग सफर

KNEWS DESK – बॉलीवुड में जहां ज्यादातर स्टार किड्स की लॉन्चिंग बड़े प्रोडक्शन हाउस की फिल्मों और ग्लैमरस इवेंट्स के जरिए होती है, वहीं पंकज त्रिपाठी ने अपनी बेटी आशी त्रिपाठी के लिए बिल्कुल अलग और अनोखा रास्ता चुना है। ‘मिर्जापुर’ में कालीन भैया के नाम से मशहूर पंकज त्रिपाठी ने अपनी बेटी को किसी फिल्म या वेब सीरीज में नहीं, बल्कि सीधे थिएटर की कठिन और चुनौतीपूर्ण दुनिया में लॉन्च करने का फैसला लिया है, वो मंच जहां एक ही टेक में कलाकार को अपनी कला साबित करनी होती है।

थिएटर से डेब्यू क्यों?

पंकज त्रिपाठी खुद थिएटर बैकग्राउंड से आते हैं और मानते हैं कि “रंगमंच वह जगह है जहां कलाकार का असली कौशल निखरता है।” यहां न रीटेक होते, न कट… दर्शक सामने होते हैं, भावनाएं वास्तविक होती हैं और डायलॉग्स में ज़रा सी चूक भी छिपाई नहीं जा सकती। इसीलिए उन्होंने अपनी बेटी की एक्टिंग की नींव फिल्म सेट पर नहीं, बल्कि स्टेज पर रखने का फैसला किया।

अपनी मां के साथ ‘ला-इलाज’ नाटक से शुरुआत

आशी त्रिपाठी अपनी मां मृदुला त्रिपाठी के साथ मिलकर रूपकथा रंगमंच के ‘ला-इलाज’ नाटक के जरिए अपना थिएटर डेब्यू करने वाली हैं। यह थिएटर ग्रुप पंकज त्रिपाठी के परिवार ने मिलकर बनाया है। इस ग्रुप का पहला म्यूजिकल ड्रामा ‘ला-इलाज’ आशी के करियर का पहला कदम होगा। पंकज त्रिपाठी ने इसका पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, “मेरी एक्टिंग की यात्रा रंगमंच से शुरू हुई थी, इसलिए मैंने अपनी बेटी के लिए भी वहीं से रास्ता चुना।”

पंकज त्रिपाठी खुद बने बेटी के गुरु

आशी ने किसी एक्टिंग स्कूल से ट्रेनिंग नहीं ली, बल्कि उनके गुरु उनके पिता ही रहे हैं। पंकज त्रिपाठी ने वर्षों तक अपनी दोनों बेटियों को एक्टिंग की बारीकियां सिखाईं| संवाद अदायगी, भावनाओं पर नियंत्रण, बॉडी लैंग्वेज, लाइव परफॉर्मेंस की तैयारी| उन्होंने पहले भी कई एक्टिंग वर्कशॉप्स ली हैं और नए कलाकारों को ट्रेनिंग देते रहे हैं। इसलिए अपनी बेटी को तैयार करना उनके लिए एक गर्व का पल है।

स्टार किड्स के लिए नई मिसाल

जहां ज्यादातर स्टार किड्स फिल्मों से धमाकेदार लॉन्च करते हैं, वहीं आशी त्रिपाठी का थिएटर से डेब्यू बॉलीवुड में एक नई मिसाल बन सकता है। यह सिर्फ एक डेब्यू नहीं, पंकज त्रिपाठी की ईमानदार सोच और अभिनय की जड़ों से जुड़े रहने का संदेश भी है।