‘ना हीरो हैं ना विलेन’… जब बॉलीवुड ने ठुकराया असरानी को तो साउथ में मिली पहचान, इंदिरा गांधी ने की थी पैरवी

KNEWS DESK – बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता असरानी (Asrani) का 20 अक्टूबर को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से फिल्म इंडस्ट्री समेत राजनीति और खेल जगत तक में शोक की लहर है। असरानी ने अपने पांच दशकों से भी लंबे करियर में 400 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया और अपने हर किरदार में गहराई और अलग पहचान छोड़ी। चाहे ‘शोले’ के जेलर हों या ‘चुपके चुपके’ के कॉलेज प्रोफेसर, असरानी हर भूमिका में जान डाल देते थे। लेकिन उनकी यह चमकती हुई यात्रा संघर्षों से होकर गुजरी थी।

जयपुर से बॉलीवुड तक का सफर

1 जनवरी 1941 को राजस्थान के जयपुर में जन्मे गोवर्धन असरानी एक साधारण परिवार से थे। उन्होंने जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल से पढ़ाई की और राजस्थान कॉलेज से ग्रैजुएशन पूरा किया। शुरूआत में असरानी ने रेडियो आर्टिस्ट के रूप में काम किया और बाद में पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली।

फिल्मों में कदम रखने के बाद उन्हें शुरुआती दिनों में भारी संघर्ष का सामना करना पड़ा। असरानी ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि बॉलीवुड में उन्हें उनके “चेहरे” की वजह से बार-बार रिजेक्ट किया गया।

“चेहरा अजीब है” कहकर किया गया रिजेक्ट

असरानी ने खुलासा किया था कि इंडस्ट्री के कुछ नामी निर्देशकों ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया था कि वे न तो हीरो लगते हैं और न ही विलेन। उन्होंने बताया कि मशहूर डायरेक्टर गुलजार ने उन्हें “चेहरा अजीब” बताकर कास्ट करने से इनकार किया था, जबकि दिग्गज निर्देशक एलवी प्रसाद ने कहा था कि वे कॉमेडी या रोमांटिक रोल के भी लायक नहीं हैं।

हालांकि, असरानी ने हार नहीं मानी। FTII की डिग्री होने के बावजूद उन्होंने दो साल तक काम की तलाश में भटकते हुए अपना संघर्ष जारी रखा।

इंदिरा गांधी ने की थी असरानी की मदद

अपने संघर्ष के दिनों में असरानी ने तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी से मदद मांगी थी। असरानी ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्होंने उन्हें अपनी परेशानी बताई, तो इंदिरा गांधी ने मुंबई आकर प्रोड्यूसर्स से कहा कि “इस लड़के को काम दो।” इसके बाद असरानी को जया भादुड़ी की फिल्म ‘गुड्डी’ (1971) में मौका मिला, जो सुपरहिट साबित हुई। इसके बाद उनकी किस्मत का सितारा चमक उठा और उन्हें लगातार फिल्में मिलने लगीं।

400 से ज्यादा फिल्मों में किया काम

असरानी ने अपने करियर में लगभग 400 फिल्मों में काम किया। उन्होंने ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, ‘अभिमान’, ‘हेरा फेरी’, ‘भागम भाग’, ‘दे दना दन’ और ‘वेलकम’ जैसी फिल्मों से दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई। उन्होंने निर्देशन के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया और ‘हम नहीं सुधरेंगे’, ‘दिल ही तो है’ और ‘उड़ान’ जैसी फिल्में बनाईं।

कम ही लोग जानते हैं कि असरानी ने साल 2004 में कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था। उन्होंने लोकसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई और सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लिया।