कानपुर या मेरठ…. जॉली एलएलबी 3 का ट्रेलर कहां होगा लॉन्च? यूजर्स करेंगे तय

KNEWS DESK – बॉलीवुड फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में अब क्षेत्रीय बोलियों और स्थानीय रंग-ढंग का इस्तेमाल आम हो चुका है। दर्शक भी उन कहानियों से ज्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं, जिनमें उनका अपना परिवेश और बोली दिखाई दे। उत्तर भारत की बोलियों में कनपुरिया अंदाज ने सबसे ज्यादा लोकप्रियता पाई है। तनु वेड्स मनु, बंटी और बबली, बाला जैसी फिल्मों से लेकर टीवी शो भाभी जी घर पर हैं तक—कानपुर का रंग-ढंग दर्शकों को खूब भाया है। अब इस कड़ी में जुड़ रही है जॉली एलएलबी-3, और इसके प्रमोशन ने कानपुर और मेरठ की दिलचस्प जंग छेड़ दी है।

अक्षय कुमार vs अरशद वारसी: किस शहर का पलड़ा भारी?

सोशल मीडिया पर वायरल हुए प्रमोशनल वीडियो में अक्षय कुमार और अरशद वारसी अपने-अपने शहर का पक्ष लेते दिख रहे हैं। अक्षय ने कानपुर की मिठाइयों और खानपान का जिक्र करते हुए कहा—“ठग्गू के लड्डू, बदनाम कुल्फी, सुल्तानी दाल, मट्ठा, चाट और इमरती का असली स्वाद चखना है तो कानपुर आना पड़ेगा।” उन्होंने कानपुर के लेदर उद्योग और यहां के लोगों की “डिस्काउंट मांगने की आदत” पर भी चुटकी ली। वहीं अरशद वारसी ने मेरठ की शान और रंगबाजी का पक्ष रखा। दोनों कलाकारों की यह मजेदार नोकझोंक सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई है।

जज त्रिपाठी फंसे, जनता बनेगी निर्णायक

फिल्म में जज त्रिपाठी का किरदार निभा रहे सौरभ शुक्ला इस बहस के बीच उलझ जाते हैं। अक्षय उर्फ जॉली मिश्रा जहां कानपुर की तारीफ में कसीदे पढ़ते हैं, वहीं अरशद उर्फ जॉली त्यागी मेरठ का समर्थन करते हैं। आखिरकार जज त्रिपाठी यह कहते हैं कि अब फैसला जनता करेगी—यानी फिल्म का ट्रेलर किस शहर में लॉन्च होगा, यह दर्शकों की वोटिंग पर निर्भर है।

प्रमोशन की यूनिक रणनीति

अक्षय कुमार ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट का नाम बदलकर “जॉली मिश्रा – असली जॉली फ्रॉम कानपुर” कर लिया है, जबकि अरशद वारसी ने खुद को “जॉली त्यागी – असली जॉली फ्रॉम मेरठ” बताया है। फैंस का मानना है कि ट्रेलर का भव्य लॉन्च इन्हीं दोनों शहरों में से किसी एक में होगा।

कानपुर की बढ़ती पहचान

फिल्मों और धारावाहिकों में कानपुर की बोली और ठाठ-बाट को हमेशा खास जगह मिली है। यहां की गलियों और ऐतिहासिक लोकेशनों पर तनु वेड्स मनु, बाला, रात अकेली है और बंटी और बबली जैसी फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। इससे स्थानीय कलाकारों और प्रोडक्शन टीम को रोजगार के मौके भी मिले। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन लोकेशनों को फिल्म पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए, तो कानपुर अपनी अलग पहचान बना सकता है।https://x.com/akshaykumar/status/1962409360027738120

जनता के हाथ में हथौड़ा

अब देखना दिलचस्प होगा कि जॉली एलएलबी-3 का ट्रेलर आखिर किस शहर में लॉन्च होता है। कानपुर और मेरठ की यह खींचतान अब सिर्फ फिल्मी प्रमोशन तक सीमित नहीं रही, बल्कि लोगों की भावनाओं और शहरों की पहचान का सवाल बन गई है। एक तरफ है कानपुर का अल्हड़पन और ठग्गू के लड्डू, तो दूसरी तरफ मेरठ की शान और रंगबाजी। असली जीत किसकी होगी, यह अब जनता के फैसले पर टिकी है।