KNEWS DESK- मशहूर गायक पद्मश्री कैलाश खेर आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 7 जुलाई, 1973 को यूपी के मेरठ में हुआ था। कैलाश खेर भारतीय लोक संगीत और सूफी संगीत से प्रभावित हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वो शास्त्रीय संगीतकार कुमार गंधर्व, भीमसेन जोशी, हृदयनाथ मंगेशकर और नुसरत फतेह अली खान से प्रेरित हैं। कैलाश खेर ने साल 2009 में शीतल से शादी की थी और दोनों एक बेटे कबीर खेर के माता-पिता हैं।
अपने सूफियाना अंदाज़ से सबको दीवाना बना चुके फेमस सिंगर कैलाश खेर ने साल 2004 में आई फिल्म अंदाज के गाने ‘रब्बा इश्क ना होवे’ से अपने करियर की शुरुआत की| इसके बाद उन्होंने बैक टू बैक कई सुपरहिट गाने गाए हैं| ‘ओ सिकंदर’, ‘या रब्बा’, ‘कैसी है ये उदासी’, ‘तुझे मैं प्यार करूं’, ‘दौलत-शोहरत’, ‘सईयां’, ‘जय जयकारा’, ‘बगड़बम बम’, ‘दामाद जी अंगना हैं’, ‘मेरे निशां’, ‘तेरी दीवानी’, ‘अल्लाह के बंदे’ जैसे सुपरहिट गाने गाए हैं| इनके गाने का अंदाज सूफी है और यही फैंस को पसंद आता है|
कैलाश ने साल 2004 में ‘कैलासा’ नाम से एक बैंड बनाया था और इसी नाम से बैंड की पहली अलबम भी जारी की थी, जो साल 2006 में रिलीज हुई थी। इसके बाद उन्होंने ‘झूमो रे’ नाम से साल 2007 में दूसरी अलबम निकाली थी। फिर 2009 में ‘चांदन में’ नाम से उनकी तीसरी अलबम रिलीज हुई थी। साल 2012 में उन्होंने अपनी कंपनी कैलासा रिकॉर्ड्स से चौथी अलबम रिलीज की थी, जिसका नाम था- ‘रंगीले’। ‘अल्लाह के बंदे’ गाने के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पुरुष प्लेबैक गायक का स्टार स्क्रीन पुरस्कार जीता था। इसके अलावा वो 2007 में ‘चांद सिफारिश’ गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष प्लेबैक गायक का फिल्मफेयर पुरस्कार और 2010 में ‘तेरे लिए’ गाने के लिए इंडियन टेलीविजन एकेडमी अवॉर्ड भी जीत चुके हैं।
कैलाश खेर उस समय विवादों में घिर गए थे, जब मीटू मूवमेंट के दौरान उन पर कुछ महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। वर्षा सिंह धनोआ नाम की गायिका ने एक वीडियो जारी करते हुए कैलाश खेर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मैसेज करके वर्षा से कहा था कि वो उनसे प्यार करना चाहते हैं। वर्षा ने कैलाश के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उनसे पद्मश्री वापस लेने की मांग की थी।
फोटो जर्नलिस्ट नताशा हेमरजानी ने भी ट्वीट (अब एक्स) करके कैलाश पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। उनके मुताबिक साल 2016 में वो एक साक्षात्कार के सिलसिले में कैलाश खैर के घर पर गई थीं। इस दौरान नताशा की एक सहकर्मी भी उनके साथ थी। नताशा ने कहा कि जैसे ही वो कैलाश के घर पहुंचे तो वो उनके बगल में आकर बैठ गए और बार-बार जांघों पर हाथ रखने की कोशिश करते रहे, जिसके बाद नताशा और उनकी सहयोगी ने कैलाश के वहां से चले जाने में ही अपनी भलाई समझी।